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- Why Are Relations Between Pakistan And Iran Deteriorating? Read The Hindu Article Of 21 January
13 मिनट पहले
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पाकिस्तान की सीमा से सटे हिस्से में सक्रीय, ईरान विरोधी बलूच अलगाववादी समूह ने दोनों देशों को युद्ध के करीब लाकर खड़ा कर दिया है।
जून 2010 में, तेहरान में ईरान विरोधी सुन्नी अलगाववादी नेता अब्दुल मलिक रिगी को पकड़े जाने के पांच महीने के भीतर फांसी दे दी गई। इस घटना पर उस समय की मीडिया ने कोई खास ध्यान नहीं दिया था। रिगी ने जुंदाल्लाह नाम के हथियारबंद समूह की स्थापना की थी, जिसका नाम 2012 में जैश अल-अद्ल (JAA) या ‘न्याय की सेना’ रख दिया गया। इस समूह को अमेरिका ने प्रतिबंधित कर दिया था। पिछले हफ्ते इसी समूह ने दो बड़ी सैन्य शक्तियों, ईरान और पाकिस्तान को युद्ध के करीब ला दिया था।
माना जाता है कि, 2003 और 2010 के बीच ईरानियन आर्म्ड फोर्सेज के 154 सदस्यों की हत्या के पीछे रिगी का हाथ था। यह हत्याएं ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र में हुई थीं। 2010 में, ईरान के लड़ाकू विमानों ने यूनाइटेड अरब अमीरात से किर्गिस्तान जा रहे एक यात्री विमान की जबरदस्ती लैंडिंग करा कर रिगी को गिरफ्तार कर लिया।
2008 में, रिगी ने अल-अरबिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वे ईरानी सरकार से उन्हें नागरिक बने रहने देने की मांग करते हैं। उन्होंने ईरान के शिया मुसलमानों के बराबर अधिकारों की मांग भी रखी। इसके साथ ही, उन्होंने शिया और सुन्नी के बीच भेदभाव को समाप्त करने की बात कही।
रिगी, सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र के सबसे बड़े कबीले रिगिस से सम्बन्ध रखते थे, जो कि 1,81,578 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यह क्षेत्र कर्नाटक से थोड़ा ही छोटा है। इस क्षेत्र में मात्र 28 लाख लोग रहते हैं और जिन्होंने शिया-बहुसंख्यक ईरान के सामने अलगाववाद की बड़ी चुनौती खड़ी कर रखी है। रिगी ईरान के अल्पसंख्यक सुन्नी समुदाय से आते थे और वे बलूचिस्तान को दोबारा स्थापित करना चाहते थे, जो अब पाकिस्तान और ईरान के बीच बंट गया है।
ईरान और पाकिस्तान के बीच झड़प की खबरें कम ही सुनाई देती हैं। लेकिन JAA ने ईरान और पाकिस्तान के बीच एक संघर्ष शुरू कर दिया जिसमें दोनों तरफ से मिसाइल के हमले में कम से कम 11 नागरिक मारे गए। इसी के चलते, ईरान ने दावा किया कि उसने पाकिस्तान के अंदर JAA के ट्रेनिंग कैम्प्स पर हमला किया है। इसके जवाब में, पाकिस्तान ने बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) के आतंकवादियों पर हमले करने का दावा किया है। इन दोनों देशों ने एक दूसरे पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है।
मौजूदा समय में सलाहुद्दीन फारूकी JAA के प्रमुख की भूमिका निभा रहे हैं। माना जाता है कि यह समूह ईरान के भीतर हमले करने के लिए सुन्नी आतंकवादी समूहों को ट्रेनिंग देता है।
ईरान मानता है कि दिसंबर 2023 में एक पुलिस स्टेशन पर हमले में 11 लोगों की हत्या इसी संगठन ने की थी। 2019 में, एक बस पर आत्मघाती बम विस्फोट में इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के 27 सदस्यों की हत्या हो गई थी। इस घटना के बाद से, इस संगठन पर ईरान की सुरक्षा एजेंसियों ने कड़ी नजर रखी हैं। इन्होंने शिया नागरिकों, बैंकों और दुकानों को भी अपना निशाना बनाया है।
अल-कायदा से सम्बन्ध
कई मौकों पर, ईरान ने अमेरिका, ब्रिटेन, इजराइल, पाकिस्तान और सऊदी अरब पर बलूच अलगाववादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है। हालांकि, पश्चिमी देशों ने फारूकी के समूह पर अल कायदा के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया है। जानकारों का मानना है कि JAA की विचारधारा सऊदी अरब के रूढ़िवादी साहित्य से प्रभावित है जो सऊदी अरब के धर्म गुरुओं के करीब माने जाते हैं।
JAA दावा करता है कि वह ईरान के खिलाफ बलूच लोगों के अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है। कई साम्राज्यों का शासन रहने से इस क्षेत्र का इतिहास जटिल हो गया है। यहां अफगान, अरब, यूनानी (ग्रीक), भारतीय, मंगोल, पर्शियन(ईरानी) और तुर्क साम्राज्य के लोग शासन कर चुके हैं। हालांकि, 11वीं और 17वीं सदी के बीच यहां के शाही परिवारों को विभिन्न स्तरों की स्वायत्ता या आजादी मिलती रही है। JAA का दावा है कि वह ईरानी सरकार से बलूची संस्कृति, अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अधिकारों को सुरक्षित मान्यता देने की लड़ाई लड़ रहा है।
JAA एक मजबूत संगठन के रूप में उभर रहा है, क्योंकि सिस्तान-बलूचिस्तान मुख्य रूप से एक पहाड़ी क्षेत्र है। साथ ही, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगी 322 किलोमीटर की सीमा में सुन्नी बहुसंख्यक आबादी रहती है। 326 ईसा पूर्व में सिकंदर इस क्षेत्र से होते हुए भारत तक पंहुचा था।
एक भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के अपहरण के बाद, JAA भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के जांच के दायरे में आ गया। 2016 में, इस संगठन पर पैसे लेकर कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को सौंपने का आरोप लगा। फिलहाल जाधव पर पाकिस्तान में मुकदमा चल रहा है। जाधव की गिरफ्तारी और उसके बाद पाकिस्तान द्वारा उनपर जासूस होने का आरोप लगाने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और बिगड़ गए।
लेखक : पीरजादा आशिक
Source : The Hindu
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