



वॉशिंगटन21 घंटे पहले
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अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की आर्मी अमेरिका से जुटाई गई जानकारी का इस्तेमाल जंग के दौरान इन्फ्रास्ट्रक्चर तबाह करने में कर सकती है। (प्रतीकात्मक)
एक जॉइंट सिक्योरिटी ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के हैकर्स अमेरिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर में पांच साल तक घुसपैठ करते रहे और यहां की एजेंसियों को हाल ही में इसकी खबर लग सकी।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के हैकर्स ग्रुप्स ने अमेरिका के कम्युनिकेशन, एनर्जी, ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम और वेस्ट-वॉटर मैनेजमेंट जैसे अहम सेक्टर्स के बारे में तमाम जानकारियां हासिल कर लीं।
पांच देशों के एक्सपर्ट का सिक्योरिटी ग्रुप
- इस जॉइंट सायबर सिक्योरिटी एडवाइजरी ग्रुप की रिपोर्ट 7 जनवरी 2024 को सामने आई। इस ग्रुप में अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के एक्सपर्ट्स शामिल हैं।
- रिपोर्ट कहती है- सायबर ऑपरेशन्स का टारगेट सिर्फ खुफिया जानकारी जुटाना नहीं है, बल्कि इसके जरिए किसी देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहुंच हासिल करके उस पर कंट्रोल के तरीके भी खोजते हैं। सबसे बड़ा खतरा यह है कि अगर अमेरिका और चीन के बीच टकराव बहुत बड़ जाता है तो चीन ने अपने हैकर्स ग्रुप्स के जरिए जो जानकारी जुटाई है, उसका इस्तेमाल करके वो अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में बहुत मुश्किल हालात पैदा कर सकता है।
- रिपोर्ट के मुताबिक- चीन के हैकर्स ने न सिर्फ खुफिया जानकारी जुटाई, बल्कि उसने अमेरिका में अपने टारगेट भी फिक्स कर लिए हैं। अगर दोनों देशों में जंग के हालात बनते हैं तो चीन इस मामले में अमेरिका पर भारी पड़ेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक- चीन के हैकर्स ने न सिर्फ खुफिया जानकारी जुटाई, बल्कि उसने अमेरिका में अपने टारगेट भी फिक्स कर लिए हैं। (प्रतीकात्मक)
FBI के डायरेक्टर की संसद में पेशी
- खास बात यह है कि अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने भी पिछले महीने संसद के सामने कुछ इसी तरह के खतरों का जिक्र किया था। इस दौरान FBI के डायरेक्टर के अलावा इंटेलिजेंस और दूसरी सिक्योरिटी एजेंसीज के तमाम आला अफसर भी मौजूद थे। डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन से भी इस मौके पर सख्त सवाल किए गए।
- दरअसल, संसद की एक खास सिलेक्ट कमेटी है। यह अमेरिका की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर नजर रखती है। इसने चीन की तरफ से बढ़ते खतरों पर एक सुनवाई रखी थी। इसको नाम दिया गया था- द चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी सायबर थ्रेट टू द अमेरिकन होमलैंड एंड नेशनल सिक्योरिटी।
- FBI डायरेक्टर ने इस दौरान कहा- चीन की तरफ से बढ़ रहे खतरों को लेकर बहुत ज्यादा बात नहीं होती। चीन सरकार के हैकर ग्रुप्स हमारे बेहद अहम सेक्टर्स में सेंध लगा रहे हैं। अमेरिकी इलेक्ट्रिक ग्रिड, ऑयल और नैचुरल गैस जैसे सेक्टर्स तक उनकी पहुंच हो चुकी है या हो रही है। इसके जो नतीजे होंगे, उसका असर हर अमेरिकी पर होगा।

अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने भी पिछले हफ्ते संसद के सामने पेश हुए थे। उन्होंने चीन की तरफ से बढ़ रहे खतरों की तफ्सील से जानकारी दी थी। (फाइल)
चीन के सैटेलाइट भी खतरनाक
- पिछले साल अमेरिका के कुछ इंटेलिजेंस डॉक्यूमेंट ऑनलाइन लीक हुए थे। इनके मुताबिक, अमेरिका के रक्षा अधिकारियों ने सरकार को बताया है कि चीन को मिलिट्री स्पेस टेक्नोलॉजी डेवलप करने में काफी सफलता मिल चुकी है। इसमें सैटेलाइट कम्युनिकेशन भी शामिल है।
- अमेरिका के स्पेस फोर्स चीफ बी चांस साल्ट्जमैन ने कांग्रेस यानी अमेरिकी संसद को बताया था कि चीन स्पेस वॉर से जुड़ी ताकत हासिल करने में जुटा है। चीन एंटी-सैटेलाइट मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक जैमर, लेजर और टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है जो किसी दुश्मन देश की सैटेलाइट्स को भी गिरा सकता है। चीन का सपना 2045 तक स्पेस में सबसे बड़ी शक्ति बनने का है।
- चीन की मिलिट्री अब तक 347 सैटेलाइट को लॉन्च कर चुकी है। इनमें 35 सैटेलाइट 202-23 में लॉन्च किए गए। चीन की सेना का लक्ष्य इन सभी सैटेलाइट के जरिए अमेरिका और भारत समेत अपने सभी दुश्मन देशों की सेनाओं की निगरानी करना है।
- चीन ने एंटी सैटेलाइट रोबोटिक डिवाइस भी बना ली है। ये डिवाइस एक्टिव सैटेलाइट की नोजल को बंद कर उसे पूरी तरह बर्बाद कर सकती है। इसकी मदद से चीन दुश्मन देश की सैटेलाइट को अपने कब्जे में भी कर सकता है।

चीन से निपटने के लिए भारत कितना तैयार
- ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की फेलो श्रविष्ठा अजय कुमार ने कहा कि साइबर वॉरफेयर के मामले में भारत दुनिया में तीसरी कैटेगरी के देशों में शामिल है। इसका मतलब ये हुआ कि अभी भारत साइबर वॉरफेयर के मामले में बेहद कमजोर है।
- 2019 में भारत दुनिया के सबसे ज्यादा साइबर अटैक के शिकार होने वाले देशों में शामिल था। इस साल चीन ने भारत पर 50 हजार से ज्यादा बार साइबर अटैक किए। साइबर वॉरफेयर के मामले में भारत को साइबर हमले से बचने और साइबर हमले के जवाब देने यानी दोनों ही मोर्चों पर काम करना होगा।
- हालांकि किसी देश से साइबर वॉर को लेकर भारत की तैयारी न के बराबर है। पिछले 2 दशक से चीन साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम कर रहा है। भारत ने इस क्षेत्र में अभी काम करना सही से शुरू भी नहीं किया है।
- साइबर वॉरफेयर में कौन देश कितना मजबूत है ये 3 बातों पर निर्भर करता है…
- 1. देश का डिजिटल इकोनॉमी सिस्टम कितना सेफ है।
- 2. देश की इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी सिस्टम कितना मजबूत है।
- 3. देश के मिलिट्री ऑपरेशन में साइबर सिस्टम का कितना सेफ और सिक्योर इस्तेमाल होता है।
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के नेशनल साइबर पावर इंडेक्स के मुताबिक, साइबर वॉरफेयर में अमेरिका के बाद चीन दूसरे नंबर पर है। इस मामले में अमेरिका और चीन को अगर कोई देश टक्कर देता है तो वो रूस है।
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