Friday , 1 August 2025
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US Astrobotic Moon Mission Failed | Peregrine-1 Lunar Lander | अमेरिकी कंपनी का मून मिशन फेल, वापस लौट रहा लैंडर: धरती से 4 लाख किमी दूर; कंपनी बोली- वायुमंडल में घुसते ही जल जाएगा

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1 घंटे पहले

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तस्वीर अमेरिकी प्राइवेट कंपनी के पेरेग्रीन-1 लैंडर की है। यह 23 फरवरी को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था। - Dainik Bhaskar

तस्वीर अमेरिकी प्राइवेट कंपनी के पेरेग्रीन-1 लैंडर की है। यह 23 फरवरी को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था।

अमेरिकी प्राइवेट कंपनी का पेरेग्रीन-1 मून लैंडर अब पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। लैंडर को बनाने वाली कंपनी एस्ट्रोबोटिक ने बताया कि यह पृथ्वी के वायुमंडल में घुसते ही जल जाएगा। डब्बे के आकार वाला यह लैंडर पिछले 5 दिन से स्पेस में है और फिलहाल धरती से 3.90 लाख किमी दूर है। एस्ट्रोबोटिक इस लैंडर को लेकर लगातार अपडेट देता आ रहा है।

यह लैंडर 8 जनवरी को स्पेस में भेजा गया था। कंपनी के मुताबिक, लॉन्च के कुछ देर बाद ही स्पेसशिप में एक धमाका हुआ था। इसके बाद यह साफ हो गया कि पेरेग्रीन-1 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाएगा। कंपनी ने बताया कि धमाके के बाद लैंडर का फ्यूल लीक होने लगा था। इस वजह से यह उस जगह पर नहीं पहुंच सकता था, जहां उसे सूरज की रौशनी मिलने वाली थी।

सौर उर्जा नहीं मिलने के कारण लैंडर पर लगे सोलर पैनल चार्च नहीं हो पाए और बैटरी सिस्टम फेल हो गया। इसके बाद भी कंपनी ने बैटरी चार्ज करने का तरीका खोज लिया, लेकिन वो फ्यूल लीकेज नहीं रोक पाए।

वल्कन सेंटौर रॉकेट के जरिए पेरेग्रीन-1 लैंडर 8 जनवरी को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से स्पेस में भेजा गया था।

वल्कन सेंटौर रॉकेट के जरिए पेरेग्रीन-1 लैंडर 8 जनवरी को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से स्पेस में भेजा गया था।

चांद पर मानव DNA लेकर जा रहा था मून लैंडर
साइंटिफिक हार्डवेयर के अलावा इस स्पेसक्राफ्ट पर एस्ट्रोबोटिक कंपनी के निजी ग्राहकों के कार्गो भी मौजूद हैं। इसमें एक स्पोर्ट्स ड्रिंक कैन, एक बिटकॉइन के साथ मानव और जानवरों की राख और DNA शामिल हैं। इस मून मिशन का मकसद चंद्रमा पर पानी के मॉलिक्यूल्स का पता लगाना था।

इसके साथ ही लैंडर के चारों ओर रेडिएशन और गैसों को मापना भी एक मकसद था। इससे पता चलता कि सोलर रेडिएशन का चांद की सतह क्या असर होता है। नासा ने भी अपने कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विस प्रोग्राम से जुड़ा कार्गो इस मून लैंडर पर भेजा था। इसके लिए नासा ने कंपनी को 828.72 करोड़ रुपए चुकाए थे।

लैंडर पर नासा के 5 पेलोड लगे हैं
द गार्डियन के मुताबिक, परेग्रीन-1 पर 15 पेलोड लगे हैं। इनमें से 5 नासा के हैं। यह चंद्रमा के मध्य-अक्षांश क्षेत्र (mid-latitude region) पर 23 फरवरी को लैंड होने वाला था। इस इलाके को साइनस विस्कोसिटैटिस या स्टिकनेस की खाड़ी कहा जाता है।

इसे 8 जनवरी को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:48 बजे यूनाइटेड लॉन्च अलायंस कंपनी के वल्कन सेंटौर रॉकेट के जरिए फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से चांद की ओर रवाना किया गया था।

एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने मंगलवार 9 जनवरी को स्पेस में मौजूद परेग्रीन-1 लैंडर की यह तस्वीर शेयर की थी।

एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने मंगलवार 9 जनवरी को स्पेस में मौजूद परेग्रीन-1 लैंडर की यह तस्वीर शेयर की थी।

51 साल बाद कोई अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरता
अगर पेरेग्रीन-1 की लैंडिंग होती तो यह 51 साल में पहली बार होता जब कोई अमेरिकी मिशन चांद पर उतरता। इसके पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसके बाद अमेरिका ने साल 2022 में आर्टिमिस-1 मिशन को चांद पर रवाना किया था। लेकिन वह स्‍पेसक्राफ्ट चांद पर उतरा नहीं था। आर्टिमिस-1 ने चांद का चक्‍कर लगाया था।

नासा के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए कोशिश करते रहेंगे। इसके तहत फरवीर में ह्यूस्टन बेस्ड इंटुएटिव मशीन्स भी मिशन लॉन्च करेगी। इसके अलावा एस्ट्रोबोटिक कंपनी भी नवंबर में ग्रिफिन लैंडर को नासा के वाइपर रोवर के जरिए चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग के लिए लॉन्च करेगी।

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