

नई दिल्ली19 घंटे पहले
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1 अक्टूबर 2025 या उसके बाद बनने वाले N2 और N3 कैटेगरी के वाहनों के केबिन के लिए एयर कंडीशन सिस्टम लगाया जाएगा।(फाइल फोटो)
अक्टूबर 2025 से ट्रक ड्राइवरों के लिए एयर कंडीशन्ड केबिन कम्पल्सरी हो जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इसकी घोषणा की है। सरकार ने यह फैसला देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में लागत कम करने, लंबी यात्रा के दौरान ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत असर को कम करने और सड़क हादसों को रोकने के लिए लिया है।
नोटिफिकेशन के अनुसार 1 अक्टूबर 2025 या उसके बाद बनने वाले N2 और N3 कैटेगरी के वाहनों के केबिन के लिए एयर कंडीशन सिस्टम लगाया जाएगा। यानी सभी नए ट्रकों में ड्राइवरों के लिए फैक्ट्री-फिटेड एसी केबिन होना आवश्यक होगा। इससे पहले इसके लिए 1 जनवरी 2025 का समय तय किया गया था।
N2 और N3 कैटेगरी के वाहन?
- N2 कैटेगरी : इस कैटेगरी में वे भारी मालवाहक वाहन आते हैं जिनका कुल वजन 3.5 टन से अधिक और 12 टन से कम होता है।
- N3 कैटेगरी : इस कैटेगरी में वे भारी मालवाहक वाहन आते हैं जिनका कुल वजन 12 टन से अधिक है।

अभी अभी भी टाटा और महिंद्रा सहित कई कंपनियां ट्रक ड्राइवरों के लिए एयर कंडीशन्ड केबिन दे रही हैं।
अभी भी कई ट्रकों में AC दे रही कंपनी
अभी अभी भी टाटा और महिंद्रा सहित कई कंपनियां ट्रक ड्राइवरों के लिए एयर कंडीशन्ड केबिन दे रही हैं। देश के टॉप 5 ट्रक मैन्युफैक्चर्स की बात करें तो मार्केट कैप के हिसाब से पहले नंबर पर टाटा मोटर्स है। इसके बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा, आयशर मोटर्स, अशोक लेलैंड और फोर्स मोटर्स है।
15 दिसंबर से देश में ही होगा कारों का क्रैश टेस्ट
देश में चलने वाली कारों को सेफ्टी रेटिंग देने के लिए भारतीय एजेंसी भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Bharat NCAP या BNCAP) 15 दिसंबर 2023 से क्रैश टेस्ट शुरू करने जा रही है। 1 अक्टूबर को भारतीय कार टेस्टिंग एजेंसी को लॉन्च किया गया था।
क्रैश टेस्ट की प्रोसेस
1. टेस्ट के लिए इंसान जैसी 4 से 5 डमी को कार में बैठाया जाता है। बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है, जो चाइल्ड ISOFIX एंकर सीट पर फिक्स की जाती है।
2. गाड़ी को फिक्स्ड स्पीड पर ऑफसेट डिफॉर्मेबल बैरियर (हार्ड ऑब्जेक्ट) से टकराकर देखा जाता है कि गाड़ी और डमी को कितना नुकसान पहुंचा है। ये तीन तरीके से किया जाता है।
- फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट में कार को 64 kmph की रफ्तार पर बैरियर से टकराया जाता है।
- साइड इम्पैक्ट टेस्ट में गाड़ी को 50 kmph की स्पीड पर बैरियर से टकराया जाता है।
- पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट में कार को फिक्स स्पीड पर पोल से टकराकर देखा जाएगा। पहले दो टेस्ट में कार के 3 स्टार रेटिंग हासिल करने पर तीसरा टेस्ट किया जाएगा।
3. टेस्ट में देखा जाता है कि इम्पैक्ट के बाद डमी कितनी डैमेज हुई, एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स ने काम किया या नहीं। इन सभी के आधार पर रेटिंग दी जाती है।
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