


काठमांडू4 घंटे पहले
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टिकटॉक की पेरेंट कंपनी बायटडेंस है। इस पर आरोप हैं कि वो डेटा चीन की मिलिट्री से शेयर करती है। कंपनी इस आरोप को गलत बताती है। (प्रतीकात्मक)
नेपाल सरकार ने सोमवार को सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर बैन लगा दिया। टिकटॉक की पेरेंट कंपनी चीन की है और दुनिया में इसके करीब एक अरब यूजर हैं।
नेपाल सरकार में कम्युनिकेशन्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर रेखा शर्मा ने कहा- टिकटॉक की वजह से हमारा सामाजिक सद्भाव बिगड़ रहा था। एक अफसर ने कहा- 9 दिन पहले टिकटॉक को इस बारे में बताया गया था, उन्होंने आपत्तिजनक सामग्री नहीं हटाई।

नेपाल की होम मिनिस्ट्री के एक अफसर ने कहा- 9 दिन पहले टिकटॉक को इस बारे में बताया गया था, उन्होंने आपत्तिजनक सामग्री नहीं हटाई। (प्रतीकात्मक)
हेट क्राइम्स बढ़ रहे थे
- ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने नेपाल सरकार के हवाले से कहा- आदेश के बावजूद इस सोशल मीडिया ऐप ने हेट क्राइम्स से जुड़ा कंटेंट नहीं हटाया। इससे सामाजिक सद्भाव पर असर पड़ रहा था। टिकटॉक के दुनिया में करीब एक अरब यूजर हैं। 3 करोड़ की आबादी वाले इस हिमालयीन देश में बैन से उस पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हां, ये बात जरूर है कि कई देशों में इस पर सख्ती से इस चीनी कंपनी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। नेपाल में इसके 22 लाख यूजर हैं।
- भारत ने 2020 में टिकटॉक समेत चीन के कई ऐप पर बैन लगा दिया था। अमेरिका, यूरोप और कनाडा में टिकटॉक कंटेंट पर पैनी नजर रखी जाती है और इसकी बारीकी से स्क्रूटनी की जाती है।
- नेपाल ऐसा देश है, जिसके पड़ोस में दो भारत और चीन जैसे ताकतवर मुल्क हैं। हालांकि, उसने चीन की नाराजगी को तवज्जो देने से ज्यादा देश के हालात सुधारने पर फोकस किया।
- अफसरों का कहना है कि टिकटॉक पर लगातार ऐसा कंटेंट पोस्ट किया जा रहा था जिससे मजहबी नफरत, हिंसा और सेक्स क्राइम्स बढ़ रहे थे। हालिया वक्त में कुछ जगह कर्फ्यू लगाना पड़ा और पुलिस की तैनाती भी बढ़ानी पड़ी। हाल ही में गोकशी की घटना के बाद हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि देश की ज्यादातर आबादी हिंदू है।

अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद जोश हावले ने पिछले हफ्ते कहा था कि टिकटॉक से युवाओं पर गलत असर पड़ रहा है। इसे बैन किया जाना ही चाहिए।
कैबिनेट मीटिंग में फैसला
- टिकटॉक पर बैन का फैसला कैबिनेट मीटिंग में किया गया। मीटिंग के बाद कम्युनिकेशन्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर रेखा शर्मा ने कहा- सोशल मीडिया और टिकटॉक से सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक माहौल और रिश्तों पर गलत असर पड़ रहा था। बैन तुरंत लागू किया गया है। कैबिनेट ने इसे अप्रूव भी कर दिया है।
- ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने जब इस बारे में टिकटॉक ऑफिस से जवाब मांगा तो वहां से कोई जवाब नहीं मिला। नेपाल के जिम्मेदार अफसर ने कहा- हमने कई बार कंपनी को आपत्तिजनक सामग्री हटाने को कहा, उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। करीब दो हफ्ते पहले भी इस बारे में कंपनी से कहा गया था, इसका भी जवाब नहीं मिला।
- होम मिनिस्टर नारायण काजी श्रेष्ठा के मुताबिक- नेपाल की अथॉरिटीज के पास ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं है कि वो खुद आपत्तिजनक सामग्री या वीडियोज हटा सके। लिहाजा, इसको बैन करना जरूरी था।
- नेपाल में कुछ लोग बैन का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि सरकार फ्रीडम ऑफ स्पीच और ट्रांसपेरेंसी को खत्म करना चाहती है।
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