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- The Craze Of Indian Students To Study In Canada Has Not Diminished, Read The Editorial Of 7th November
एक घंटा पहले
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भू-राजनीतिक माहौल और अंतरराष्ट्रीय संबंध, अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के लिए देश चुनने में काफी महत्वपूर्ण होते हैं।
दो देशों के कूटनीतिक रिश्तों में समस्या आने से नागरिकों के आने जाने में भी समस्या बढ़ जाती हैं।
इसलिए भारत और कनाडा के बीच बढ़ रहे तनाव ने संभावित छात्रों की उम्मीदों पर गहरी छाया कर दी है।
कनाडा में 13 लाख भारतीय रहते हैं, जो कि इस देश की आबादी का चार प्रतिशत है ( कैनेडियन सेंसस के अनुसार ) । भारत से प्रवास 2016 से 2021 के वर्षों में सबसे अधिक रहा। ऐसे भारतीय जो कनाडा के स्थाई निवासी बन गए हैं, उनकी संख्या 2013 में 32,828 से बढ़कर 2011 में 1,18,095 हो गई है। इसमें एक बड़ा हिस्सा उन भारतीयों का है, जो कनाडा में स्टूडेंट वीजा के साथ गए हैं।
एक लोकप्रिय ठिकाना

कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से बढ़ी है। 2009 में यह संख्या 31,665 से बढ़ कर 2018 में 1,71,505 हो गई है।
और दिसंबर 2022 तक लगभग 3,20,000 भारतीय कनाडा में एक्टिव स्टडी परमिट पर थे। कनाडा में भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी 40% है।
सितंबर में, इन दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आने के बाद भारत ने कनाडा में रह रहे, अपने नागरिक को और वहां यात्रा के लिए जा रहे लोगों के लिए चेतावनी में जारी की है।
युवा भारतीय जो कनाडा में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, इस चेतावनी के बाद उनका तनाव में आना स्वाभाविक है।
हाल ही में कनाडा के उच्च शिक्षा संस्थानों में भर्ती हुए हैं, उनके लिए स्थिति उनके सबसे गंभीर है, हालांकि कनाडा के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज ने छात्रों को सुनिश्चित किया है कि उनका पहले जैसा ही स्वागत है।
भारतीय छात्र, विशेष तौर पर जो मास्टर्स और रिसर्च डिग्री प्रोग्राम कर रहे हैं, वह ऐसे स्थानों को पसंद करते हैं, जहां फीस में कमी हो और स्कॉलरशिप और स्टाइपेंड मिलता हो।
फीस चुकाने के अलावा अंतरराष्ट्रीय छात्र मेजबान देशों में अपना योगदान देते हैं।
2020 में, अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने कनाडा की अर्थव्यवस्था में 22.3 बिलियन कैनेडियन डॉलर का योगदान दिया और 2,18000 नौकरियां दी।
यही मुख्य कारण है, जिसकी वजह से अधिकांश देश अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहते हैं और कनाडा भी इससे अलग नहीं है।
कनाडा में पढ़ाई करने के और भी आयाम है। छात्र इसे विदेश में बसने, बेहतर आजीविका और कमाई के मौके के प्रबल रास्ते की तरह देखते हैं।
कनाडा ब्यूरो फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के एक सर्वे में पता चला कि सिर्फ 7.5% अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा से अपने मूल देश की तरफ लौटना चाहते हैं, जबकि 72.6% पढ़ाई पूरी करके कनाडा में ही रहना चाहते हैं, और बचे 20% तय नहीं कर पा रहे थे कि वह कनाडा में रहना चाहते हैं या अपने देश लौटना चाहते हैं।
कनाडा की नागरिकता न सिर्फ किफायती है, बल्कि अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में जल्द मिल जाती है।
इन संभावनाओं के कारण लोग ‘ग्रेट व्हाइट नॉर्थ’ की तरफ आकर्षित होते हैं। कनाडा के एक्सप्रेस एंट्री प्रोग्राम और प्रोविंशियल नॉमिनी प्रोग्राम सभी के लिए नहीं है, जो कनाडा में बसाना चाहते हैं. लेकिन स्टडी वीजा के जरिए कनाडा में जाना आसान और बेहतर संभावना वाला माना जाता है। यही सोच प्रवास करने वाले एजेंट और कंसलटेंट अपने ग्राहकों को समझाते हैं।
प्रवास हमेशा आकर्षक नहीं रहता
हालांकि शिक्षा के लिए कनाडा में बसना हमेशा आकर्षक नहीं होता।
हाल की एक रिपोर्ट में सीनेटर रतना ओमिडवार. हसन युसूफ और यूएन पाव वू ने बताया कि 2000 से अब तक, केवल 30% अंतर्राष्ट्रीय स्टूडेंट ही वहां आने के एक दशक के भीतर स्थाई निवास पा सके हैं।
यह रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि कनाडा जाकर पढ़ाई करने से आजीविका और कमाई की संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय छात्र से प्रवासी बनने का पक्का रास्ता नहीं है।
इस संबंध में पर्याप्त सबूत बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय छात्र के लिए नौकरी ढूंढना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। सोशल मीडिया साइट्स पर भारतीय छात्रों की लंबी कतारें देखी जा सकती है, जो पार्ट–टाइम नौकरियां पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इससे पता चलता है कि भारतीय छात्रों के लिए नौकरी का संकट मध्यम से लेकर गंभीर है। ऐसे भी संकेत मिलते हैं की संभावित छात्र कनाडा की जगह अन्य विकल्प तलाश रहे हैं।
रहने के लिए घरों की कमी
कनाडा के भीतर कई लोगों का मानना है कि प्रवासी लोगों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आने से घरों की कमी देखी जा रही है और घरों का किराया आसमान छू रहा है।अकेले परिवार के लिए घरों के दाम और किराया विशेष रूप से बढ़ गए हैं।
कनाडा मॉर्टगेज एंड हाउसिंग कॉर्पोरेशन का मानना है दामों को नियंत्रित करने के लिए 2030 तक देश में 58 लाख नए घरों की जरूरत पड़ेगी। घरों की कमी के कारण यूनिवर्सिटी पर अपनी एडमिशन प्रक्रिया को और कठिन करने की मांग उठती रहती है। सरकार ने इस संभावना से इंकार नहीं किया है।
वास्तविकता में, ऐसा करके घरों के किराए को काबू किया जा सकता है। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय छात्रों में कनाडा के प्रति लगाव कम नहीं हो रहा। डेटा अक्सर सही तस्वीर नहीं दिखाते।
लोग वास्तविकता का अनुमान अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की बात से लगाते हैं, जो कनाडा पड़ने के लिए आए। डेटा और आंकड़ों की जगह पहचान के लोगों की बात पर अधिक विश्वास होता है।
सभी छात्र अच्छी क्वालिटी की उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, जो उन्हें अपने देश में मिलना मुश्किल है। बेहतर आजीविका की संभावनाओं और अच्छी कमाई के लिए वह सात समुंदर पार आने के लिए तैयार रहते हैं।
दुख की बात है, कि कनाडा जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को अब अनिश्चितता से चुनौती मिल रही है।
लेखक: फुरकान कमर, प्रोफेसर, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, जामिया इस्लामिया, प्लानिंग कमीशन के सलाहकार ( शिक्षा) रह चुके हैं।
Source: The Hindu
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