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- Prabhas’ Second Name ‘Darling’ Is Not For Nothing, Prabhas, Prithviraj Sukumaran, Salaar, Releases On 22 December, Spoke About Prabhas, Interview
2 घंटे पहलेलेखक: अमित कर्ण
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इस साल की बिग बजट फिल्मों में से एक है ‘सालार’ जो कि आज रिलीज हो रही है। यह एक एक्शन-ड्रामा फिल्म है, जिसकी कहानी देवा और उसके जिगरी वरदा की गहरी दोस्ती के इर्द-गिर्द है। फिल्म में देवा को तेलुगु सुपरस्टार प्रभास ने प्ले किया है, जबकि वरदा बने हैं मलयाली फिल्मों के बड़े नाम पृथ्वीराज सुकुमारन। पृथ्वीराज बरसों से हिंदी फिल्में भी करते रहे हैं। पेश हैं उनसे हालिया बातचीत के अहम अंश :

इस फिल्म का हिस्सा कैसे बने आप ?
जवाब- इस फिल्म के लिए डायरेक्टर प्रशांत नील ने मुझे अप्रोच किया था। हालांकि प्रोड्युसर होम्बले फिल्म्स के साथ मेरी मीटिंग उनके बैनर से किसी दूसरी फिल्म को डायरेक्ट करने के सिलसिले में हुई थी। उस मीटिंग में कंपनी के प्रमुख विजय किर्गुंदर ने मुझे बताया था कि प्रशांत नील अपनी ‘सालार’ के वरदा किरदार के लिए एक एक्टर की खोज में हैं। डायरेक्टर प्रशांत नील के साथ पहली नरेशन जूम पर हुई थी। फिर कोविड के चलते फिल्म बनने में देरी होती रही। उस दौरान मैं दरअसल जॉर्डन में फंसा हुआ था।
क्या आप आसानी से फिल्म का हिस्सा बने ?
जवाब- नहीं। कोविड के चलते एक बार परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण रहीं। मुझे लगा कि मैं शायद ‘सालार’ फिल्म नहीं कर पाऊंगा, क्योंकि ‘सालार’ एक बड़ी कमिटमेंट थी। बड़ी संख्या में डेट्स की जरूरत थी। मैंने प्रशांत से कहा भी कि मैं शायद डेट नहीं दे पाऊंगा। पर प्रभास और प्रशांत तारीफ के हकदार हैं, जिनके चलते मैं वह फिल्म कर सका। प्रशांत ने स्पष्ट कहा कि वो मेरे लिए वेट कर सकते हैं। मैं उनका शुक्रगुजार हूं, जो ऐसी शानदार फिल्म का हिस्सा बन सका।

आप किस तरह मसाला और कंटेंट प्रधान फिल्मों में बैलेंस बनाते हैं ?
जवाब- लोग ‘सालार’ जैसी फिल्मों पर फौरन धारणा बना लेते हैं कि मसाला फिल्में कंटेंट सेंट्रिक नहीं होतीं। हालांकि अच्छी मसाला फिल्मों में अच्छा कंटेंट होता है। सच कहूं तो यह एक लोकप्रिय मिसकंसेप्शन है कि मेनस्ट्रीम फिल्में बनाना बड़ा आसान है, जो कि गलत है। ऐसी फिल्मों के जरिए बड़े स्तर पर लाखों लोगों की नब्ज भांप लेना बहुत टफ टास्क होता है। इस तरह की फिल्में बनाने के मामले में प्रशांत नील किंग हैं। उनका दायरा बहुत फैला हुआ है।
मैं ‘सालार’ जैसी मसाला फिल्म तो चाहता ही हूं। मुझे ‘अय्प्पम कोशियम’ और ‘जन गण मन’ पसंद हैं। वहीं दूसरी ओर ‘सालार’ और ‘बड़े मियां छोटे मियां’ भी बहुत भाती हैं। ये सब कंटेंट सेंट्रिक फिल्में हैं। जिन फिल्मों को समीक्षक सतही कहते हैं, मगर वह चल जाती है, यानी उसमें भी कंटेंट है, तभी चली भी हैं।

आप और प्रभास दोनों स्टार हैं। कहानी भी दोस्ती की है। ऐसे में केमिस्ट्री कैसे डेवलप की ?
जवाब- जो लोग प्रभास को करीब से जानते हैं, उनको पता होगा कि उनके संपर्क में आने पर दोस्ती हो ही जाती है। दोस्ती ना हो- ऐसा नामुमकिन है। मैं मलयाली इंडस्ट्री से आता हूं। वहां अपने फेवरेट सितारों को ‘रिबेल स्टार’ या ‘सुपर स्टार’ उपनाम देने की प्रथा नहीं है, मगर तेलुगु में हैं। प्रभास को लोग रिबेल स्टार तो कहते ही हैं, मगर मुझे पता चला कि लोग उन्हें एक और नाम ‘डार्लिंग’ से भी पुकारते हैं।
लोग प्रभास को डार्लिंग नाम से क्यों पुकारते हैं ?
जवाब- दरअसल सेट पर एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था, जब वह मुझसे या किसी और से ना पूछें कि उन्हें किसी चीज की जरूरत है? खाने को कुछ भिजवाऊं क्या? कंफर्टेबेल हैं कि नहीं? ऐसे में अगर आपने प्रभास से अपनी फेवरेट डिश बता देने की गलती कर दी है, तो कम से कम एक गांव के बराबर खाना खाने को तैयार हो जाइए। क्योंकि प्रभास तो फिर पूरे गांव के लायक खाना भिजवा देंगे। हमारा शूट लंबा चला। काफी दिनों तक मैं घर से दूर था। मेरी फैमिली मुझसे मिलने सेट पर आई हुई थी। मेरी नौ साल की बिटिया ने गलती से प्रभास को अपनी पसंदीदा डिशेज के बारे में बता दिया। यकीन मानिए उसी शाम मुझे होटल में अलग कमरा लेना पड़ा। ताकि मेरी बिटिया के लिए जितना खाना प्रभास ने भिजवा दिया था, वह रखवा सकूं। मेरे लिए उन्होंने अपनी लैंबरगिनी भिजवा दी, क्योंकि मैं सेट पर अपनी कार मिस कर रहा था।

ऐसी क्या चीज है जो फ्युचर में भी दर्शकों को अट्रैक्ट करती रहेगी ?
जवाब- ड्रामा। आप विजुअली और टेक्निकली फिल्म को चाहे जितनी सुपीरियर बना लें , अगर उसका ड्रामा दर्शकों से कनेक्ट और कम्युनिकेट नहीं हुआ तो किसी भी दौर का सिनेमा ऑडियंस को नहीं खींच पाएगा। ड्रामा किसी भी जॉनर की फिल्म में हो सकता है। डायरेक्टर प्रशांत नील की यही खूबी है। उनमें ड्रामा गढ़ने की कमाल की कला है। दमदार प्लॉट गढ़कर उसे कैसे परम आनंद देने वाले क्लाइमैक्स में बदलना है, यह प्रशांत नील बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।
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