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मोदी के पहले दौरे पर गुडविल जेस्चर के तौर पर UAE ने मंदिर के लिए जगह देने की घोषणा की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी UAE दौरे पर आज अबु धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्धाटन करेंगे। 2015 में जब प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पहली बार UAE के दौरे पर गए थे, तब UAE ने मंदिर के लिए 13.5 एकड़ जगह देने की घोषणा की थी। 2019 में इस मंदिर के लिए 13.5 एकड़ जमीन और दी गई।
2015 में कतरी मीडिया हाउस अल जजीरा में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस मंदिर के लिए एक मुस्लिम बिजनेसमैन ने भी 5 एकड़ जमीन दी थी। BAPS का हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर 700 करोड़ रुपए की लागत से बना है। मंदिर का उद्घाटन करने के बाद मोदी कतर जाएंगे।

UAE पहुंचने के बाद PM मोदी ने राष्ट्रपति जायद अल नाहयान को गले लगाया।
2017 में मोदी ने रखी थी नींव
अबू धाबी में इस BAPS मंदिर की नींव खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही रखी थी। मंदिर के लिए राजस्थान के बलुआ पत्थर और इटालियन मार्बल स्टोन का इस्तेमाल हुआ है। इन पर नक्काशी भी भारत में की गई। मंदिर में देश के प्रत्येक अमीरात का प्रतिनिधित्व करने वाली सात मीनारें हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कल यानी मंगलवार को हुए अलहन मोदी कार्यक्रम में मंदिर के बारे में कहा- 2015 में आप सब की ओर से मैनें यहां एक मंदिर का प्रस्ताव रखा तो राष्ट्रपति जायद अल नाहयान ने बगैर एक पल भी गंवाए हां कह दिया। उन्होंने यह तक कह दिया कि जिस जमीन पर आप लकीर खींच देंगे, मैं वो आपको दे दूंगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में BAPS मंदिर की नींव रखते हुए।
कतर के अमीर से भी होगी मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी UAE में मंदिर का उद्घाटन करने के बाद कतर के लिए रवाना होंगे। यहां वे दोहा में कतर के अमीर शेख तामीम बिन हमाद अल थानी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी 8 पूर्व नौसैनिकों को रिहा करने पर उन्हें धन्यवाद भी दे सकते हैं।
अब रिहा हुए सैनिकों की पूरी कहानी समझिए
पहले मौत की सजा, फिर उम्रकैद और अब वतन वापसी। यह कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। जासूसी के जुर्म में सजा पाने वाले 8 पूर्व नेवी अफसरों की भारत वापसी का मिशन बेहद गोपनीय रखा गया। गोपनीयता इतनी कि नौसैनिकों के परिवारों को भी इसकी भनक नहीं लगी।
रिहा होकर लौटे एक पूर्व अफसर ने कतर में रह रही अपनी पत्नी को फोन से सूचना दी। कहा- मैं भारत लौट आया हूं, अब तुम भी लौट आओ। सूत्रों के मुताबिक, उम्रकैद की सजा के बावजूद किसी को भी जेल में नहीं रखा गया। वे पूरे वक्त हिरासत केंद्र में रहे। दो-दो अधिकारी साथ रहते थे। डॉक्टर भी दिया गया था। परिवार का एक सदस्य हर हफ्ते इनसे मिल सकता था। हिरासत केंद्र में इनके लिए जिम की व्यवस्था भी थी।
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