




इस्लामाबाद11 मिनट पहले
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चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने इलेक्शन कमीशन से साफ कहा था कि उन्हें चुनाव की तय तारीख बतानी होगी। इसके बाद 11 फरवरी की तारीख बताई गई। (फाइल)
पाकिस्तान में आम चुनाव 11 फरवरी को होंगे। इलेक्शन कमीशन ऑफ पाकिस्तान (ECP) ने गुरुवार 2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी। वैसे यह चुनाव अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के बीच होने चाहिए थे।
ECP ने चुनाव टालने की वजह परिसीमन को बताया है। उसके मुताबिक- जनगणना और परिसीमन की वजह से जनवरी में भी चुनाव कराना मुश्किल है। लिहाजा, इन्हें फरवरी के दूसरे हफ्ते में 11 तारीख को कराया जाएगा। इसका शेड्यूल जारी नहीं किया गया है।
1 नवंबर को केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकड़ ने मीडिया से कहा था कि किसी के चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है। उनका इशारा जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की तरफ था।

इमरान खान इस वक्त जेल में हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इलेक्शन के पहले उनकी पार्टी PTI को बैन किया जा सकता है। (फाइल)
सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद तारीख का ऐलान
- संविधान के मुताबिक तो पाकिस्तान में जनरल इलेक्शन अक्टूबर के आखिरी हफ्ते या नवंबर में होने चाहिए थे। अगस्त में शाहबाज शरीफ सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद 90 दिन में चुनाव होने थे। इसका जिम्मा केयरटेकर सरकार और इलेक्शन कमीशन पर था। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।
- ECP ने पहले इस्लामाबाद हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के अलावा राष्ट्रपति को भी बताया कि जनगणना और परिसीमन के चलते चुनाव कराने में वक्त लगेगा। अदालतों की तरफ से बढ़ रहे दबाव के बाद कहा गया कि जनवरी में चुनाव होंगे।
- इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। नए चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने इलेक्शन कमीशन और सरकार से पूछा कि चुनाव की तारीखें कब तक बताएंगे। इसके लिए दो दिन का वक्त दिया गया था। इसके बाद गुरुवार (2 नवंबर) को इलेक्शन कमीशन के वकील सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच के सामने पेश हुए और उन्होंने बताया कि चुनाव 11 फरवरी को कराए जाएंगे।

प्रेसिडेंट आरिफ अल्वी इमरान के कट्टर समर्थक हैं। उन्होंने खान को गैरकानूनी तौर पर मदद भी पहुंचाई है। यही वजह है कि केयरटेकर गवर्नमेंट और इलेक्शन कमीशन चुनाव की तारीखों के बारे में उनसे बात करने में कतरा रहे हैं। (फाइल)
प्रेसिडेंट भी तो पाकिस्तानी हैं
- सुनवाई के दौरान जब ECP के वकील ने तारीख बताई तो चीफ जस्टिस ईसा ने पूछा- क्या आपने प्रेसिडेंट आरिफ अल्वी से इस बारे में सलाह मश्विरा किया है? इस पर वकील ने कहा- इसकी कोई जरूरत नहीं है। ये सुनते ही चीफ जस्टिस नाराज हो गए। उन्होंने कहा- इलेक्शन कमिश्नर और प्रेसिडेंट दोनों ही पाकिस्तानी हैं। ECP को प्रेसिडेंट से बात करने में दिक्कत क्या है?
- वकील का जवाब सुने बिना चीफ जस्टिस ने आगे कहा- चीफ इलेक्शन कमिश्नर को अभी प्रेसिडेंट के पास भेजिए। उनसे बातचीत कीजिए और हमें आकर उसकी डीटेल्स दीजिए। हम इंतजार कर रहे हैं। अटॉर्नी जनरल मंसूर राणा को भी साथ लेकर जाइए।
- देर शाम सुप्रीम कोर्ट की यही 3 सदस्यीय बेंच मामले की फिर सुनवाई करेगी।

नवाज शरीफ करीब 4 साल बाद ब्रिटेन से पाकिस्तान लौटे हैं। माना जा रहा है कि फौज से सुलह के बाद उनकी वापसी हुई है और वो ही अगले प्रधानमंत्री होंगे। (फाइल)
तैयारी में वक्त लगेगा
ECP के वकील सजील स्वाती ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- परिसीमन का काम तेजी से जारी है और उम्मीद है कि ये 30 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। इसके अलावा तब तक हम बाकी तैयारियां भी पूरी कर लेंगे। हमारी कोशिश है कि इलेक्शन रविवार को कराए जाएं। इसलिए हमने 11 फरवरी की तारीख तय की है।
ECP के वकील की बात सुनने के बाद बेंच ने आपस में सलाह मश्विरा किया और बाद में कहा- चीफ इलेक्शन कमिश्नर को प्रेसिडेंट के पास भेजें, ताकि वो उनसे भी सलाह ले सकें। इसके बाद पुख्ता जवाब के साथ हमारे पास लौटें। आज देर शाम इस मामले में आगे की सुनवाई होगी।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी को उनके पिता प्रधानमंत्री के तौर पर पेश कर रहे थे। हालांकि, नवाज की वापस से बिलावल पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। (फाइल)
नवाज की वापसी से पाक में सियासी मंजर बदला
- पिछले साल अप्रैल में इमरान खान की सरकार गिरी थी। इसके बाद शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने। उनकी गठबंधन सरकार का कार्यकाल 14 अगस्त को खत्म हो गया था। इसके बाद अनवार-उल-हक काकड़ की लीडरशिप में केयरटेकर सरकार बनी। अब तक यही सत्ता में है।
- इमरान खान की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी और वो फौज को अपनी सरकार गिराने का जिम्मेदार ठहरा रहे थे। इसी बीच, 9 मई को पाकिस्तान में जबर्दस्त हिंसा हुई। फौज और ISI के अहम ठिकानों को निशाना बनाया गया।
- इमरान खान पर करीब 120 केस थे। अगस्त में उन्हें करप्शन के केस में गिरफ्तार किया गया और वो अब तक जेल में हैं। खान पर कम से कम चार केस ऐसे हैं, जिनके चलते उन्हें जमानत मिलना बेहद मुश्किल है। हालांकि, केयरटेकर पीएम काकड़ ने कहा कि किसी के चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है। माना जा रहा है कि उनका इशारा इमरान की पार्टी PTI की तरफ था।
- कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि नवाज शरीफ की चार साल बाद मुल्क वापसी का मतलब ये है कि फौज से उनकी सुलह हो गई है। इसके ये मायने भी निकाले जा रहे थे कि इमरान की पार्टी को चुनाव लड़ने से रोका जाएगा और नवाज की पार्टी PML-N को जिताया जाएगा। इसके लिए वही तरीका अपनाया जा सकता है, जो 2018 में PTI के लिए इस्तेमाल किया गया था।
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