


इस्लामाबाद17 मिनट पहले
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नवाज शरीफ की पार्टी PML-N कह चुकी है कि अगर वो चुनाव जीती तो नवाज ही प्रधानमंत्री बनेंगे। (फाइल)
पाकिस्तान में आम चुनाव की तारीख सामने आ चुकी है। 8 फरवरी 2024 को वोटिंग होगी। इसके पहले आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) का अहम बयान सामने आया है।
PPP ने कहा है कि वो इलेक्शन के मद्देनजर दूसरी पार्टियों से गठबंधन कर सकती है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) भी शामिल है। इमरान अगस्त से जेल में हैं। उन्हें करप्शन केस में सजा सुनाई गई है।
कट्टर विरोधी रहे हैं इमरान और जरदारी
- आसिफ अली जरदारी पूर्व राष्ट्रपति हैं। इमरान के दौर में कई विपक्षी नेताओं को जेल भेजा गया था। आसिफ अली जरदारी भी इनमें शामिल रहे हैं। पहले खबरें थीं कि PPP और नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N) अलायंस कर सकते हैं। कुछ दिन पहले जब नवाज शरीफ लंदन से पाकिस्तान लौटे तो जरदारी की सोच बदल गई।
- दरअसल, जरदारी अपने बेटे बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं, लेकिन नवाज की वापसी ने सियासी पलड़ा PML-N की तरफ झुका दिया है। फौज भी नवाज के साथ नजर आ रही है। अदालतों से भी उन्हें वहीं राहत मिल रही है, जो पिछले इस साल जुलाई तक इमरान खान को मिलती थी। लिहाजा, अब पाकिस्तान की सियासत में बदलाव देखने मिल सकते हैं।
- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सीनियर लीडर राणा फारूक सईद ने लाहौर में कहा- हम दूसरी पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन कर सकते हैं। इसमें PTI भी शामिल है, क्योंकि हमें नवाज की पार्टी PML-N से मुकाबला करना है।

इस बयान की टाइमिंग अहम
- आमतौर पर इस तरह के अहम सियासी बयान आसिफ अली जरदारी या बिलावल भुट्टो की तरफ से आते हैं। इस दफा ये बयान जरदारी परिवार के बाहर से आया है और इसकी टाइमिंग भी मायने रखती है। दरअसल, नवाज शरीफ के चार साल बाद मुल्क लौटने के बाद से अब तक जरदारी परिवार का कोई सदस्य उनसे मुलाकात करने भी नहीं गया।
- इसके अलावा इस स्टेटमेंट के पीछे एक वजह और है। कुछ दिन पहले नवाज की पार्टी के नेता सैयद फाजिल ने कहा था कि उनकी पार्टी सिंध प्रांत में मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) से अलायंस कर सकती है।
- जरदारी परिवार इसी बात से नाराज है। इसकी वजह यह है कि सिंध प्रांत को इस परिवार और पीपीपी का गढ़ माना जाता है। बीस साल से ज्यादा गुजरे, लेकिन सत्ता पर इसी पार्टी का कब्जा है। दूसरी तरफ, MQM ही वो पार्टी है जो पीपीपी को चुनौती देने की ताकत रखती है। इसलिए, नवाज की पार्टी उससे गठबंधन की बातें कर रही है। इसी सियासी दांव का जवाब देने के लिए पीपीपी ने इमरान की पार्टी से गठबंधन का बयान एक सीनियर लीडर से दिलवाया है।

बिलावल भुट्टो शाहबाज सरकार में विदेश मंत्री थे। उनके पिता आसिफ अली जरदारी चाहते हैं कि बिलावल प्रधानमंत्री बनें। इसके लिए वो सियासी दांव-पेंच खेल रहे हैं। (फाइल)
इलेक्शन कमीशन और अदालतों को इशारों में धमकी
- PPP लीडर राणा फारूक सईद के बयान में एक और अहम बात है। उन्होंने कहा- सियासी गठजोड़ बनते और टूटते रहते हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन निजी रंजिश की कोई गुंजाइश सियासत में नहीं होनी चाहिए। अगर इलेक्शन में किसी पार्टी को हिस्सा लेने से रोका गया तो हम चुनाव के नतीजों को कबूल नहीं करेंगे।
- अब इसके मायने समझिए। दरअसल, 9 मई को पाकिस्तानी फौज और ISI के साथ ही मुल्क के कुछ ऐतिहासिक महत्व के संस्थानों पर हमले हुए थे। 14 लोगों की मौत हुई थी। हमले का इलजाम सीधे तौर पर इमरान की पार्टी PTI पर लगा।
- PTI के 1200 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। कुछ पर मिलिट्री कोर्ट्स में केस चल रहे हैं। इमरान भी इस केस में आरोपी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- इलेक्शन कमीशन 9 मई हिंसा मामले में PTI को बतौर पॉलिटिकल पार्टी हिस्सा लेने से रोक सकता है।
- अगर ऐसा होता है तो पीपीपी को कोई सहयोगी पार्टी गठबंधन के लिए नहीं मिलेगी और नवाज की PML-N को एक तरह से वॉकओवर मिल जाएगा। पीपीपी का सिंध के बाहर ज्यादा वोट बैंक भी नहीं है। उसे लगता है कि हारने से पहले ही वो इलेक्शन कमीशन और अदालतों को दबाव में ले आए।
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