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Movie Review- Tera Kya Hoga Lovely | मूवी रिव्यू- तेरा क्या होगा लवली: इलियाना और रणदीप ने बखूबी निभाए अपने किरदार, रंगभेद पर बेस्ड फिल्म के डायरेक्शन में रही कमी

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31 मिनट पहलेलेखक: तस्वीर तिवारी

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रणदीप हुड्डा, इलियाना डिक्रूज और करण कुंद्रा स्टारर फिल्म ‘तेरा क्या होगा लवली’ रिलीज हो गई है। फिल्म की लेंथ 2 घंटे 24 मिनट है। फैमिली ड्रामा वाली इस फिल्म को दैनिक भास्कर ने 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?

तेरा क्या होगा लवली अपने नाम की ही तरह दिलचस्प और बेहद मजेदार कहानी है, जो थिएटर्स में फिल्म देखने आई ऑडियंस को सुपर एंटरटेन करेगी। ये फिल्म दहेज और रंग भेद जैसे मुद्दों को मजेदार तरीके से दर्शकों के सामने परोसती है। फिल्म हरियाणा की पृष्ठभूमि पर बनी है जिसमें लवली (इलियाना डिक्रूज) का परिवार उसकी जल्द से जल्द शादी कराना चाहता है।

लेकिन यही सबसे बड़ी समस्या होती है, क्योंकि लवली का गहरा रंग उसकी शादी में एक बड़ी मुसीबत बन जाता है। ऐसे में एक पिता अपनी बेटी की शादी करवाने के लिए किसी भी हद तक चला जाता है। लवली को गोरा दिखाने के लिए कैसे उसकी फोटोज एडिट करवाने से लेकर डबल दहेज तक देने के लिए राजी हो जाता है। लेकिन यहां भी एक ट्विस्ट आ जाता है क्योंकि लवली की शादी का दहेज से भरा ट्रक लुटेरे लेकर फरार हो जाते हैं जिसको ढूंढने का जिम्मा सोमवीर (रणदीप हुडा ) को सौंपा जाता है। सोमवीर हरियाणा पुलिस में होता है और वो पहले ही लवली को उसके रंग की वजह से रिजेक्ट कर चुका होता है।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?

एक्टर्स के परफॉर्मेंस की बात करें, तो इलियाना डिक्रूज ने लवली के किरदार के साथ न्याय किया है। इलियाना ने फिल्म में हरियाणवी कैरेक्टर को अच्छे से पकड़ा है। रणदीप हुडा ने भी सोमवीर के किरदार को बखूबी निभाया है। लेकिन करण कुंद्रा की एक्टिंग ने फिल्म में जान डाल दी है। उनकी कॉमिक टाइमिंग से लेकर एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी तारीफ करने लायक है।

इसके अलावा पवन मल्होत्रा, गीता अग्रवाल, श्रुति उल्फत, करण कुंद्रा, शिवांकित सिंह परिहार और गीतिका विद्या जैसे बाकी एक्टर्स ने भी अपने किरदार को पकड़े रखा।

डायरेक्शन कैसा है?

फिल्म के डायरेक्टर बलविंदर सिंह जंजुआ हैं। उन्होंने फिल्म के सभी एक्टर से बेस्ट निकलवाने की कोशिश की है। लेकिन डायरेक्शन पर और अच्छा काम किया जा सकता था। फिल्म में कुछ बहुत सप्राइजिंग देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन कहानी आपको कहीं बोर नहीं करती है। फिल्म की कहानी कुणाल मांडेकर और अनिल रोधन ने लिखा है। वहीं स्क्रीनप्ले अनिल रोधन और रूपिंदर चहल ने साथ मिलकर लिखा हैं। फिल्म में कॉमिक टाइमिंग बहुत कमाल की दी गई है।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

फिल्म का म्यूजिक और साउंड भी फिल्म की थीम और ह्यूमर को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। फिल्म में ऐसे गाने नहीं हैं जो आपको बार-बार सुनने की इच्छा हो। लेकिन फिल्म देखते समय आप म्यूजिक को एंजॉय करेंगे।

फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?

फिल्म में समाज के पुराने और बड़े मुद्दे को बड़ी ही सरलता से दिखाने की कोशिश की गई है। लेकिन अगर आप सरप्राइज होने की उम्मीद से फिल्म देखने के लिए जा रहे हैं, तो आप निराश होंगे। अगर आप एंटरटेन होना चाहते हैं, तो आप ये फिल्म देख सकते हैं। फिल्म में बोर होने जैसा कोई पहलू नहीं है। ये एक फैमिली एंटरटेनिंग फिल्म है, इसे आप परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं। फिल्म में ज्यादा कुछ नया देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन गंभीर मुद्दे को हास्य तरीके से दिखाने की उनकी इस कोशिश की तारीफ होनी चाहिए।


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