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More important than ‘diabetes free’ India, freedom from the ‘problems’ of diabetes should be our dream, read the hindu editorial of 14th November | ‘डायबिटीज मुक्त’ भारत से ज्यादा जरूरी डायबिटीज की ‘समस्याओं’ से मुक्ति हमारा सपना होना चाहिए, पढ़िए 14 नवंबर का एडिटोरियल

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4 घंटे पहले

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डायबिटीज को रिवर्स यानी खत्म करने की सोच आजकल बहुत ज्यादा बढ़ गई है। कई सारे कमर्शियल ऑर्गनाईजेशन डायबिटीज ‘डायबिटीज को पलटने’ की इस मुहीम में कूद पड़े हैं। डायबिटीज के रिवर्स होने यानी खत्म होने के फायदे और नुकसान पर विचार करना जरूरी है।

सबसे पहले, का ‘रिवर्सल’ शब्द वैज्ञानिक रूप से गलत है, इसकी बजाय कहा जाना चाहिए डायबिटीज में छूट या आराम। डायबिटीज को उलटने का मतलब है कि उसे वापस पूरी तरह से खत्म कर लिया गया है, जबकि ‘रिवर्सल’ का मतलब थोड़े समय के लिए डायबिटीज से राहत मिलना होता है।

उदाहरण के लिए कैंसर को खत्म कर दिया जाता है, और वो फिर और भी खतरनाक रूप में वापस आ सकता है।

डायबिटीज में छूट और टाइप 2 डायबिटीज

डायबिटीज कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि ये कई तरह की बीमारी की वजह होती है। जब हम डायबिटीज को खत्म करने की बात करते हैं, तब हम टाइप 2 डायबिटीज की बात करते हैं। हालांकि डायबिटीज टाइप 1 में छूट कम ही मिलती है यानी इसके खत्म होने की संभावना कम होती है।

क्या टाइप 2 डायबिटीज को खत्म किया जा सकता है? कई डायबिटीज रिवर्सल प्रोग्राम का दावा है कि डायबिटीज टाइप 2 को किसी भी स्टेज में खत्म किया जा सकता है। ये सच नहीं है।

जबकि टाइप 1 डायबिटीज को खत्म करना या कहें बहुत लंबे समय तक रिवर्स करना बहुत कम ही हो पाता है।

हर किसी को ये याद रखना चाहिए कि कोई एक जो डायबिटीज से कुछ महीनों और सालों के लिए मुक्ति पा लेता है, तो वो एक अच्छा उदाहरण बन जाता है, क्योंकि ये डायबिटीज से होने वाले प्रभावों से उसे सुरक्षा देता है।

उन डायबिटीज मरीजों के बारे में क्या, जो इससे मुक्ति नहीं पा सकते? क्या उन्हें निराश हो जाना चाहिए? बिल्कुल भी नहीं। सच ये है कि मेरे अनुभव से, टाइप 2 डायबिटीज वाले अधिकांश लोगों को अपनी डायबिटीज से ज्यादा लंबे समय तक छूट मिल पान मुश्किल होगा।

डायबिटीज के ऐसे बहुत सारे मामलों में डायबिटीज कई महीनों बाद वापस आ जाती है। इस डायबिटीज की गंभीरता कई बार फिर पहल से से ज्यादा बढ़ जाती है।

लंबा और स्वस्थ जीवन

मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं, जिन डायबिटिक मरीजों ने इसमें छूट नहीं पाई है, उन्होंने भी कुछ नहीं खोया है। मैंने अपने पिछले चार से पांच दशकों के अनुभव से समझा है कि डायबिटीज के बावजूद लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए ABCD के एक ओर सेट को अपनाना जरूरी है।

डायबिटीज के इलाज का आखरी उद्देश्य ‘डायबिटीज की समस्याओं’ से मुक्त जीवन जीना है। आज डायबिटीज बहुत कम कंट्रोल में है और यही कारण है कि यह अंधापन, एम्प्यूटेशन (शरीर के किसी अंग को काटकर अलग करना), हार्ट अटैक, स्ट्रोक, लीवर फेल और नपुंसकता का एक मुख्य कारण बन गई है।

हम देखते हैं कि अधिकतर डायबिटीज के मरीज इस बीमारी के चलते अपने शुरुआती दौर में इनमें से किसी एक समस्या से प्रभावित होते हैं और इसका प्रभाव न सिर्फ एक व्यक्ति पर बल्कि पूरे परिवार पर पड़ता है। इसका असर देश की इकोनॉमी पर भी पड़ता है।

भारत का डेटा

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR-INDIAB) की डायबिटीज पर की गई रिसर्च के अनुसार 101 मिलियन लोग डायबिटीज से और 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटीज से पीड़ित हैं।

जिन लोगों में प्री-डायबिटीज के लक्षण हैं, उनके लाइफ स्टाइल को बदलकर या कहें स्वस्थ लाइफ स्टाइल को अपनाकर वो बहुत लंबे समय यानी कई सालों तक डायबिटीज से बचे रह सकते हैं।

वो जिन्हें पहले से डायबिटीज है, उन्हें बेशक इससे मुक्ति के लिए कोशिश करनी चाहिए। हालांकि, यदि ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है, तो डायबिटीज के मरीज को ABCD के नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे वो लंबे समय तक डायबिटीज की गंभीर समस्याओं के बगैर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

भले ही हम भारत को ‘डायबिटीज मुक्त’ नहीं बना सकते, लेकिन मेरा सपना है कि हम भारत को “डायबिटीज की समस्याओं से मुक्त भारत” तो बना सकते हैं। वर्ल्ड डायबिटीज डे (14 नवंबर) के मौके पर हम खुद को इस सपने को पूरा करने के लिए समर्पित करें।

यह हो सकता है कि हम ‘डायबिटीज फ्री’ इंडिया तक ना सही ‘डायबिटीज की समस्याओं से मुक्त’ भारत बना सकते हैं।

लेखक: डॉ. वी. मोहन, डायबिटीज स्पेशलिस्ट, सेंटर एंड द मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन, चैन्नई।

Source: The Hindu

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