

कोलकाता20 मिनट पहलेलेखक: अनिल बंसल
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वर्ल्ड कप 2023 में मोहम्मद शमी भारत के दूसरे टॉप विकेट टेकर हैं।
वर्ल्ड कप के सिर्फ 3 मैच में 14 विकेट लेकर मोहम्मद शमी अहम गेंदबाज साबित हो रहे हैं। वे वर्ल्ड कप इतिहास में भारत के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। उनकी गेंदबाजी की खूब चर्चा हो रही है। लेकिन, एक दौर था, जब शमी गुमनामी में थे और भटकने को मजबूर था।
फिर बंगाल के देवव्रत दास की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने शमी की फिटनेस और खेल के प्रति समर्पण देखकर क्रिकेट में मौका दिया।
उन्होंने शमी को अपने घर में भी जगह देकर पाला-पोसा। देवव्रत आर्थिक तंगी से जूझ रहे शमी को उस वक्त हर दिन सौ रुपए देकर मैदान में भेजते। जब शमी मैदान से लौटते तो खेल में सुधार को लेकर उनसे बातचीत भी करते। देवव्रत दास (देबू) मौजूदा समय में बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन में सचिव है।

उप्र टीम में सलेक्ट न होने के बाद बंगाल आए शमी
शमी ने शुरुआती दौर में उत्तर प्रदेश से खेल की शुरुआत की, लेकिन वह असफल रहे। वे उप्र की अंडर-19 टीम में भी जगह नहीं बना सके। इसके बाद बचपन के कोच बदरुद्दीन ने उन्हें कोलकाता में ट्रेनिंग लेने की सलाह दी। 16 साल के शमी ने कोलकाता के डलहौजी एथलेटिक क्लब से खेलना शुरू किया।
क्लब में देवव्रत की नजर उन पर पड़ी। उन्हें शमी की रफ्तार के साथ अनुशासन बेहद पसंद आया। इसके बाद उन्होंने सीएबी की सलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष के साथ स्पेशल सेशन रखा, जिसमें शमी की गेंदबाजी और उनकी फिटनेस को दिखाया।
वर्ल्ड कप जीत में शमी का योगदान ही दक्षिणा: दास
शुरुआत से शमी की गेंदबाजी पर गहरी नजर रखने वाले देवव्रत ने बताया कि वे अपनी गेंदबाजी में लाइन-लेंथ के साथ, जो बड़ा फर्क डालते हैं वह है अनुशासन। वो इतने अनुसाशित हैं कि अब भी उनके क्रिकेट करियर में किसी को नो बॉल नहीं मिलेगी।
गुमनामी में पड़े एक चेहरे को फर्श से अर्श तक पहुंचाने के बाद जब बात गुरु दक्षिणा की आती है तो भी देबू दा यही कहते हैं कि भारत वर्ल्ड कप जीते और उस जीत के नायक शमी बनें, इससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं चाहिए। उन्हें लगेगा कि उनकी मेहनत सफल हो गई।
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