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- Major Changes Are Needed In The Nobel Course In Economics, Read The Hindu Editorial Of 16 November
6 घंटे पहले
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हम नोबेल विनर क्लाउडिया गोल्डिन के आर्थिक विज्ञान में नोबेल का जश्न मना रहे हैं, जो जेंडर गतिशीलता पर विचार करने के लिए उन्हें दिया गया है।
हालांकि, हम इस सवाल को आप पर छोड़ रहे हैं कि आखिर क्यों नोबेल कमेटी को अर्थव्यवस्था में जेंडर असमानताओं पर विचार करने में आधी सदी से ज्यादा का समय क्यों लग गया?
एक सरल रिस्पॉन्स इस इल्जाम को समझाने का ये है कि ये पुरुष-प्रधान होने की वजह से कहा जा सकता है, जो जेंडर समानता के सवालों को एक तरफ करता है और महिलाओं को महत्व देने से अलग रखता है।
जबकि, इकोनॉमी में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है, ये चिंता की बात है, क्योंकि यहां भी सिर्फ कुछ महिलाओं के काम को पहचान मिल पाती है।
हमें इस धारणा को बदलने की जरूरत है कि महिलाएं इकोनॉमी को लेकर अलग तरह से सोचती हैं या अलग-अलग तरह की पसंद रखती हैं।
एंड्रोसेंट्रिक पूर्वाग्रहों को त्यागें
फेमिनिस्ट इकोनॉमिस्ट ने इकोनॉमी के सिद्धांत, जो पुरुषवादी सोच से शुरू हुई है, उसे बदलने के लिए विचार की जरूरत है। फेमिनिस्ट इकोनॉमिस्ट की आलोचना इकोनॉमी को उसकी ट्रांसपेरेंसी को दूर करने के लिए नहीं है, बल्कि उसके पुरुष केंद्रित पूर्वाग्रहों से मुक्त एक इकोनॉमी सिद्धांत पर जोर देने के लिए जरूरी है।
यहां, एंड्रोसेंट्रिक पूर्वाग्रह उन सिद्धांतों को बताता है, जो जेंडर के बीच इकोनॉमी के संबंध पर सवाल उठाने में विफल रहते हैं, और ऐसी धारणाएं बनाते हैं, जो मौजूदा संख्या को सुविधाजनक बनाती है।
इसे आर्थिक सिद्धांत की धारणाओं में एक इकोनॉमी से जुड़े व्यक्ति के द्वंद्व से बताया गया है, जो बाजार में मतलबी है और घर में परोपकारी है।
यह ऐसा है मानो उसके मतलब को घर के दरवाजे पर किनारे पर रख दिया गया है, जिससे एक ‘परोपकारी’ व्यक्ति को यह पता चल सके कि परिवार में सभी के लिए सबसे अच्छा क्या है।
इन दोनों ही उदाहरण में, इकोनॉमी से जुड़ा व्यक्ति एक तर्क से जुड़ा व्यक्ति है, जो सब कुछ जानता है और इमोशनली इससे अलग है।
वहीं, प्रोटोटाइपिक व्यक्ति दूसरे के प्रति सहानुभूति रखने की क्षमता के बिना अपनी ही दुनिया से जुड़ा होता है। वहीं पितृसत्ता में अन्य व्यक्तियों के लिए पूरी तरह से फैसला लेने की शक्ति को अच्छाई की सोच की तरह शामिल किया गया है, जो घर से जुड़े अधिकांश आर्थिक सिद्धांतों की नींव रखता है।
लेखिका: विजयश्री जयारमन
Source: The Hindu
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