[ad_1]
- Hindi News
- Career
- Mahalaxmi Free Bus Service Scheme Can Become Decisive In The Lives Of Women, Read The Hindu Editorial Of 26 December.
5 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

तेलंगाना विधान सभा चुनाव की जीत को कांग्रेस के लिए दक्षिण में वापसी की तरह देखा जा रहा है। कांग्रेस इस जीत से उत्साहित है और चुनाव के प्रचार के दौरान पार्टी ने जो छह गारंटी/ वादें किये थे, उनमें से एक वादे को लागू करने की तैयारी करने जा रही है।
महालक्ष्मी योजना में महिलाओं और ट्रांसजेंडर को तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (TSRTC) की तरफ से मुफ्त बस सेवा दी जाएगी। जिससे महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और बेहतर स्वाथ्य की पहुंच पर अच्छा असर पड़ेगा।
इसकी मदद से राज्य रोड ट्रांसपोर्ट को बुनियादी ढांचे में सुधार करने का मौका मिलेगा। जिससे राज्य सरकार के इस विभाग की आमदनी भी बढ़ेगी। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब सरकार सही योजना बनाये और उसे बेहतर ढंग से लागू करे।
संख्या की दृष्टि से शुरुआत अच्छी है। पहले 11 दिनों में ही, राज्य की तीन करोड़ महिलाओं ने बस से यात्रा की, जो की TSRTC से यात्रा करने वाले यात्रियों का 62% है।
TSRTC की बसों में यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ने के साथ ही 97 में से 45 डिपो में बसों की 100% सीटें भरी रहीं।
इससे पहले सीट खाली रहने के अनुपात को इस तरह समझा जा सकता है कि, महिलाओं के लिए मुफ्त टिकट देने से नवंबर में 69% की तुलना में अब बसों की 88% सीटें भरने लगी हैं, जिसमे 19% की बढ़त है।
लोगों द्वारा दी गयी अच्छी प्रतिक्रिया और क्रिस्मस, नव वर्ष और संक्रांति जैसे त्योहारों के मौसम को देखते हुए TSRTC यात्रियों की संख्या में बढ़त की उम्मीद कर रहा है।
अन्य राज्यों और देशों में हुई ऐसी ही योजनाओं पर शोध और जांच बताते हैं कि महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा देने से उनकी बचत होती है और शिक्षा तक उनकी पहुंच में सुधार होता है।
यूनाइटेड स्टेट्स के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन की वेबसाइट मुफ्त बस सेवा को बढ़ती उम्र के लोगों में अकेलेपन को कम करने वाला बताया है।
योजना का प्रभाव
भारत में, दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु उन कुछ राज्यों में से एक है, जिन्होंने तेलंगाना से पहले महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की शुरुआत की।
ऐसा करने से महिला यात्रियों के मासिक आय में 12% की बचत होने लगी।
तमिलनाडु स्टेट प्लानिंग कमिशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट से साबित होता है कि इस योजना से स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में सुधार हुआ है और यात्रियों के बीच विचार साझा करने का बेहतर मौका दिया है।
इन फायदों के अलावा चुनौतियों पर भी ध्यान देने की जरुरत है। जैसा कि, भले ही महालक्ष्मी योजना सफल दिख रही है, अभी भी कई गांव TSRTC बस सेवा से नहीं जुड़े है।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो, तेलंगाना के लगभग 1,497 गांव इस सेवा से नहीं जुड़े है, जिसका अर्थ है कि इन गावों की महिलाओं को महालक्ष्मी योजना का लाभ मिलना बाकी है।
TSRTC अधिकारीयों का मानना है कि, पिछली सरकारों के उपग्राम को ग्राम पंचायत में बदल देने से, 2019 में अलग थलग पड़े गावों की संख्या 844 से बढ़ कर 1,497 हो गई। इन जगहों तक बस सेवा को पहुंचाने के प्रयास हो रहे हैं।
इससे बड़ी समस्या है राज्य में बसों की जरूरी संख्या का न होना। यह समस्या लम्बे समय से चली आ रही है।
अक्टूबर तक TSRTC के पास कुल 9,053 बसें थीं जिनमें 2,733 किराये पर ली गई हैं।
ग्रेटर हैदराबाद जोन, जिसमें शहर का अधिकतर हिस्सा और आईटी कॉरिडोर शामिल है, वहां लगभग 2,900 बसें हैं। इसकी तुलना में बेंगलुरु में 6,000 से अधिक बसें हैं।
कम बसों की वजह से TSRTC को मुफ्त यात्रा करने वाले यात्रियों को एक्सप्रेस बसों में सीट देने में परेशानी हो रही है। इस वजह से, प्रबंधन ने महिला यात्रियों से छोटी दूरी की यात्राओं के लिए पल्ले तेलुगु बसों का उपयोग करने के लिए कहा है।
बस में यात्रा के लिए मिलने वाले पास की ही तरह जीरो-फेयर टिकटों की कीमत भी सरकार चुकाती है।
महिला यात्रियों की बड़ी संख्या को देखते हुए, जीरो-फेयर टिकटों के भुगतान की हिस्सेदारी बढ़ने का अनुमान है।
TSRTC कर्मचारियों के वेतन, उधार और बढ़ते तेल की कीमतों के कारण घाटे का सामना करता है। यदि सरकार सही समय से भुगतान जारी रखती है तो TSRTC के मुनाफे में आने की उम्मीद है। यह सब बहुत हद तक पैसे की आवाजाही पर निर्भर करेगा।
इस योजना पर शोध की जरूरत है। भले ही तेलंगाना में यह योजना अपने शुरुआती दौर में है, इसके नतीजे उत्साह को बढ़ाते हैं।
इस योजना के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए कांग्रेस सरकार को विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और आयु समूह की महिलाओं की प्रतिक्रिया लेनी होगी।
लेखक: सैयद मोहम्मद
Source: The Hindu
Source link