




वॉशिंगटन15 मिनट पहले
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बाइडेन चाहते हैं कि वो 2024 का प्रेसिडेंशियल इलेक्शन लड़ें। हालांकि, उनकी लोकप्रियता सिर्फ 32% रह गई है। (फाइल)
इजराइल और हमास के बीच जारी जंग का असर अमेरिका की सियासत पर भी पड़ रहा है। 9 स्विंग स्टेट्स (जहां वोटर का मूड भांपना मुश्किल) के मुस्लिम नेताओं ने इजराइल को समर्थन देने के लिए प्रेसिडेंट जो बाइडेन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
इन नेताओं ने बाइडेन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। इनका कहना है कि वो बाइडेन को दोबारा प्रेसिडेंट नहीं बनने देंगे और अब बाइडेन को व्हाइट हाउस से निकालने का वक्त आ गया है।

फ्लोरिडा के मुस्लिम नेता हसन सिबली ने बाइडेन को ‘जेनोसाइड जो’ नाम दिया है। इसके मायने ये हुए कि नरसंहार के जिम्मेदार जो बाइडेन हैं।
बाइडेन चुनाव हार चुके हैं
- ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक- इजराइल और हमास की जंग शुरू होने के बाद अमेरिका में मुस्लिम नेताओं ने एक नया संगठन बनाया। इनका नारा है अब बाइडेन को अकेला छोड़ दो। इसके नेता जलाई हुसैन ने शनिवार को मिशिगन की रैली में कहा- हम ऐलान करते हैं कि बाइडेन 2024 का प्रेसिडेंशियल इलेक्शन पहले ही हार चुके हैं।
- इस संगठन में एरिजोना, मिशिगन, मिनेसोटा, विस्कॉनसिन, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, नेवादा, नॉर्थ कैरोलिना और पेन्सिलवेनिया के मुस्लिम नेता शामिल है। यहां इस समुदाय की आबादी अच्छी खासी है। एक नेता हसन सिबली ने कहा- हम बाइडेन को जिता सकते हैं तो याद रखिए हरा भी सकते हैं। वो न तो सीजफायर करा पाए और न गाजा के बेकसूर लोगों की जान बचा सके। हम उन्हें नरसंहार कराने वाला प्रेसिडेंट मानते हैं।
- सिबली ने आगे कहा- गाजा में 10 हजार बच्चे मारे जा चुके हैं। इसलिए अब बाइडेन को व्हाइट हाउस में रहने का एक और मौका नहीं दिया जा सकता। वो इस नरसंहार के दोषी है। ग्लोबल स्टडीज के प्रोफेसर और मुस्लिम नेता हसन अब्दुल सलाम ने कहा- बाइडेन को देखना चाहिए कि हमारे पास 111 इलेक्टोरल वोट्स हैं।

मिशिगन की एक रैली में शामिल हुए ज्यादातर मुस्लिम अरब मूल के अमेरिकी नागरिक थे। यह लोग एक ही संगठन के सदस्य हैं।
डेमोक्रेट पार्टी के समर्थक हैं ज्यादातर मुस्लिम
- रिपोर्ट के मुताबिक- अमेरिका में करीब 30 लाख 45 हजार मुस्लिम रहते हैं। आमतौर पर इन्हें डेमोक्रेट पार्टी का समर्थक माना जाता है। अक्टूबर के आखिर में एक सर्वे किया गया था। इसके नतीजे बताते हैं कि इजराइल का समर्थन करने की वजह से बाइडेन और उनकी डेमोक्रेट पार्टी मुस्लिमों से दूर होते जा रहे हैं। खास बात ये है कि 17% अरब मूल के अमेरिकी नागरिकों ने 2024 में बाइडेन के समर्थन की बात कही। 2020 में यह आंकड़ा 60% था।
- इस नजरिए से देखें तो मुस्लिमों के बीच डेमोक्रेट्स का समर्थन 42% कम हुआ है। 9 स्विंग स्टेट्स की वजह से ही बाइडेन 2020 में उस वक्त के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हराने में कामयाब रहे थे।
- मिसाल के तौर पर मिशिगन को ही ले लीजिए। अमेरिकी जनगणना विभाग के मुताबिक- इस राज्य में 2 लाख 77 हजार अरब मुस्लिम अमेरिकी वोटर हैं। 2020 में इसी राज्य में कामयाबी के चलते बाइडेन ने इतिहास रचा था। इस पूरे मामले में एक मुस्लिम नेता का बयान हैरान करता है। जलाई हुसैन के मुताबिक- हम ट्रम्प का भी समर्थन नहीं करेंगे। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि अगर वो बाइडेन (डेमोक्रेट) और ट्रम्प (रिपब्लिकन) दोनों का समर्थन नहीं करेंगे तो फिर किसका समर्थन करेंगे।

मिशिगन में 2 लाख 77 हजार अरब मुस्लिम अमेरिकी वोटर हैं। 2020 में इसी राज्य में कामयाबी के चलते बाइडेन ने इतिहास रचा था। (फाइल)
US पॉलिटिक्स में तीन तरह के राज्यों को समझिए
रेड स्टेट्स
आसान शब्दों में समझें तो रिपब्लिक पार्टी के दबदबे या कहें प्रभाव वाले राज्यों को रेड स्टेट कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि रिपब्लिकन पार्टी का फ्लैग रेड यानी लाल है। इसके समर्थक आपको अकसर इसी रंग के कैप या टी-शर्ट्स में दिख जाएंगे। डोनाल्ड ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य हैं।

डोनाल्ड ट्रम्प को अकसर रेड कलर की टाई में देखा जाता है। वो कह चुके हैं कि यह उनकी पार्टी का रंग है और इसीलिए उन्हें ज्यादा पसंद है। (फाइल)
ब्लू स्टेट्स
जिन राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रभाव ज्यादा है, उन्हें ब्लू स्टेट कहा जाता है। इसके फ्लैग में ब्लू यानी नीला रंग है। जो बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी से ही आते हैं। इसके पहले बराक ओबामा इसी पार्टी से दो बार राष्ट्रपति बने थे। ओबामा के दौर में बाइडेन वाइस प्रेसिडेंट थे। पार्टी उन्हें अनुभवी नेता और ट्रम्प के मुकाबले ज्यादा बेहतर कैंडिडेट बताती है जो देश में बराबरी की बात करता है।
स्विंग स्टेट्स
कुछ राज्यों को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है। नाम से ही जाहिर होता है कि ऐसे राज्य जहां वोटर्स का मूड बदलने की संभावना होती है, वे स्विंग स्टेट्स कहलाते हैं। जैसे, ओहियो या फिर फ्लोरिडा। अकसर, हर चुनाव में स्विंग स्टेट्स बदलते रहे हैं। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में कैंडिडेट्स इन्हीं राज्यों पर ज्यादा फोकस करते हैं।
स्विंग स्टेट्स को बैटल ग्राउंड या पर्पल स्टेट्स भी कहा जाता है। पर्पल यानी नीले और लाल को मिलाया जाने वाला रंग। चुनावी लिहाज से इसके मायने कि यहां कोई भी जीत सकता है।
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