Friday , 1 August 2025
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Israel-Gaza War VS Hamas BAN; India VS Hamas Palestine, Qatar, Saudi Arabia | अरब देशों से रिश्ते बिगड़ने का डर; अमेरिका-जर्मनी के लिए यह आतंकी संगठन

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एक घंटा पहले

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हमास संगठन 1970 में बना था। इसकी औपचारिक स्थापना 1987 में हुई थी। - Dainik Bhaskar

हमास संगठन 1970 में बना था। इसकी औपचारिक स्थापना 1987 में हुई थी।

‘भारत के लिए अब वक्त आ गया है कि वो हमास को आतंकी संगठन घोषित करे’।

7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमले के बाद यह बात भारत में इजराइली राजदूत नाओर गिलोन ने कही थी। इसके बाद से दुनियाभर में हमास के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है। अमेरिका और जर्मनी हमास को आतंकी संगठन मानते हैं और दोनों देशों ने इस पर बैन लगा दिया है।

भारत में भी हमास को आतंकी संगठन घोषित करने और इसे प्रतिबंधित करने की मांग उठ रही है। इस पर भारत का कहना है कि वह अभी हमास को बैन नहीं करेगा।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने भारत के इस कदम की वजह दैनिक भास्कर को बताई। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल भारत में हमास सक्रिय नहीं है, इसलिए उसे बैन करने का सवाल ही नहीं उठता। अगर सरकार ऐसा करेगी तो इससे अरब देशों के साथ भारत के रिश्ते बिगड़ सकते हैं। किसी भी संगठन को बैन करने का फैसला गृह मंत्रालय UAPA कानून के तहत लेता है।

फरवरी 2023 तक UAPA की सूची में 44 संगठन शामिल थे, जिन्हें भारत आतंकी संगठन मानता है। भारत ने आखिरी बार 2015 में ISIS को आतंकी संगठन घोषित किया था। किसी संगठन को इस सूची में डालना एक लंबी प्रोसेस होती है। हो सकता है कि भारत भविष्य में हमास को लेकर कोई फैसला ले, पर अभी ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।

इजराइली सेना ने यह फुटेज जारी किया था। इसमें हमास के लड़ाके इजराइलियों के घरों में घुसकर हमला कर रहे हैं।

इजराइली सेना ने यह फुटेज जारी किया था। इसमें हमास के लड़ाके इजराइलियों के घरों में घुसकर हमला कर रहे हैं।

भारत क्यों हमास को बैन नहीं कर रहा और अरब देशों से रिश्ते भारत के लिए क्यों अहम हैं…

भारत के दो बयान, जिनमें इजराइल पर हमले की निंदा पर हमास का जिक्र नहीं

पहला बयान- 7 अक्टूबर के दिन जब इजराइल पर हमास का हमला हुआ तो उसकी आलोचना करने वाले नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। उन्होंने लिखा था- भारत हर तरह के आतंक की कड़ी निंदा करता है। मुसीबत की घड़ी में भारत इजराइल के साथ खड़ा है। इस पूरे बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहीं भी हमास का जिक्र नहीं किया।

दूसरा बयान- 14 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय ने हमास के हमले को आतंकी हमला बताया। हालांकि हमास पर कुछ नहीं कहा और फिलिस्तीन के अलग देश होने की भारत की मांग को दोहराया।

जानकारों के मुताबिक हमेशा से भारत का स्टैंड एक अलग और आजाद फिलिस्तीन को लेकर रहा है। यह अब तक बरकरार है। यह एक बड़ी वजह है जिसके चलते भारत हमास को आतंकी संगठन घोषित नहीं कर रहा है। हमास को आतंकी संगठन घोषित करने से भारत उन देशों के साथ खड़ा नजर आएगा जो फिलिस्तीन के खिलाफ हैं।

हालांकि भारत ने गाजा में सीजफायर को लेकर हुई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था। इस पर JNU के प्रोफेसर डॉ. राजन कुमार ने बताया- हम इजराइल को ब्लाइंडली सपोर्ट नहीं कर सकते। हमारा इजराइल को सशर्त समर्थन है। हम इसके समर्थन में भी नहीं हैं कि इजराइल गाजा के लोगों को मारे। यही कारण है कि हमने वहां के लिए राहत सामग्री भेजी है।

डॉ. राजन ने बताया- भारत हमेशा से अलग फिलिस्तीन देश के पक्ष में रहा है। भारत इजराइल और उसके साथी देशों को नाराज नहीं करना चाहता है, लेकिन हमारा पक्ष जस्टिफाइड है। भारत आजादी के लिए उठाए गए हमास के हिंसक कदम का समर्थन नहीं करता।

तस्वीर 2017 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल के दौरे पर गए थे।

तस्वीर 2017 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल के दौरे पर गए थे।

3 वजह जिनके चलते अरब देशों से रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता भारत

1. अरब देश भारत के बड़े तेल सप्लायर
मिडिल ईस्ट के 22 देशों (अरब देश) में से सऊदी अरब, UAE और इराक भारत के बड़े तेल आपूर्तिकर्ता हैं। खाड़ी सहयोग परिषद यानी GCC (जिसमें कुवैत, कतर, सऊदी अरब, बहरीन, ओमान और UAE शामिल हैं) के साथ 2020-21 में भारत ने 90 अरब डॉलर का व्यापार किया था। इसके अलावा भारत को फॉरेन रिजर्व का एक बड़ा हिस्सा यहीं से मिलता है।

2. विदेशों से भारत आने वाले पैसे में भी गल्फ देश आगे
गल्फ देशों के बयान पर भारत के तुरंत एक्टिव होने की एक वजह विदेशी पैसा भी है। कोरोना काल से पहले 2019-20 में गल्फ देशों में रहने वाले भारतीयों ने 6.38 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा देश में भेजा था। इनमें से 53% पैसा सिर्फ 5 गल्फ देशों- UAE, सऊदी अरब, कतर, कुवैत और ओमान से भारत आया।

3. गल्फ देशों के साथ भारत का बड़ा व्यापार
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि संयुक्त अरब अमीरात यानी UAE, सऊदी अरब और कतर भारत के टॉप ट्रेडिंग पार्टनर में से एक हैं। यही नहीं, अमेरिका के बाद UAE भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड डेस्टिनेशन भी है।

2020-21 में भारत और UAE के बीच 5.66 लाख करोड़ रुपए का बिजनेस हुआ था। इसमें भारत ने UAE को 2.20 लाख करोड़ रुपए के सामान का निर्यात किया था। इसके अलावा सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। भारत का सऊदी अरब के साथ 3.33 लाख करोड़ रुपए का ट्रेड है।

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