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Imran Khan Jail IMF EU Officer Meetings Controversy; PTI President Pervaiz Elahi | खान की पार्टी के प्रेसिडेंट परवेज इलाही का दावा, कहा- चुनाव भी हम

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लाहौर44 मिनट पहले

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इमरान खान के साथ परवेज इलाही। (फाइल) - Dainik Bhaskar

इमरान खान के साथ परवेज इलाही। (फाइल)

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के प्रेसिडेंट चौधरी परवेज इलाही ने गुरुवार को दावा किया कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और यूरोपीय यूनियन (EU) के अफसर जेल में भी इमरान से मुलाकात करते हैं।

इमरान खान को करप्शन केस में दोषी पाए जाने के बाद पांच साल की सजा सुनाई गई थी। वो इस वक्त रावलपिंडी की अडियाला जेल में कैद हैं। परवेज इलाही भी मनी लॉड्रिंग मामले में इसी जेल में बंद हैं।

अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में दावा
इलाही को पुलिस मनी लॉड्रिंग केस में सुनवाई के लिए लाहौर की अदालत लाया गया था। अदालत के बाहर उन्होंने मीडिया से बातचीत की। कहा- इमरान कितने बड़े नेता हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो IMF और EU के अफसर अकसर उनसे जेल में मुलाकात करते हैं। हम पहले भी खान के साथ खड़े थे और आगे भी खड़े रहेंगे।

एक सवाल के जवाब में इलाही ने कहा- मुल्क में जब भी इलेक्शन होंगे, आप देखेंगे कि हम बहुत बड़ी कामयाबी हासिल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट के वादे पर भरोसा किया जाना चाहिए। उसने निष्पक्ष और बिना धांधली के चुनाव कराने का भरोसा दिलाया है। हम भी उम्मीद करते हैं कि इस बार चुनाव में किसी तरह की धांधली नहीं होगी।

इमरान खान अगस्त से जेल में हैं। उनकी सुनवाई भी जेल से ही होती है। (फाइल)

इमरान खान अगस्त से जेल में हैं। उनकी सुनवाई भी जेल से ही होती है। (फाइल)

नवाज और शाहबाज लाडले

  • इलाही ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज और शाहबाज को लाडला बताया, लेकिन फौज का नाम लेने से परहेज किया। नवाज हाल ही में चार साल बाद लंदन से लौटे हैं और अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के स्टार कैंपेनर हैं।
  • पाकिस्तान में हमेशा उसी पार्टी की सरकार बनती रही है, जिसके फौज से अच्छे रिश्ते होते हैं। 2018 में इमरान भी फौज के चहेते थे और इसी वजह से प्रधानमंत्री बन पाए थे। पिछले साल की शुरुआत में फौज से रिश्ते खराब हुए तो सरकार भी गई और अब जेल में हैं।
  • माना जा रहा है कि नवाज शरीफ किसी डील के तहत लंदन से पाकिस्तान आए हैं और उनकी पार्टी ही चुनाव जीतेगी। अगर ऐसा हुआ तो नवाज ही चौथी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनेंगे। चुनाव 8 फरवरी 2024 को होंगे।

जरदारी और इमरान का अलायंस मुमकिन

  • दो हफ्ते पहले पहले आसिफ अली जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के एक नेता ने अहम बयान दिया था। पार्टी के सीनियर लीडर राणा फारूक सईद ने कहा था- हम दूसरी पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन कर सकते हैं। इसमें PTI भी शामिल है, क्योंकि हमें PML-N से मुकाबला करना है।
  • आसिफ अली जरदारी पूर्व राष्ट्रपति हैं। इमरान के दौर में कई विपक्षी नेताओं को जेल भेजा गया था। आसिफ अली जरदारी भी इनमें शामिल रहे हैं। पहले खबरें थीं कि PPP और नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (PML-N) अलायंस कर सकते हैं। कुछ दिन पहले जब नवाज शरीफ लंदन से पाकिस्तान लौटे तो जरदारी की सोच बदल गई।
  • दरअसल, जरदारी अपने बेटे बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं, लेकिन नवाज की वापसी ने सियासी पलड़ा PML-N की तरफ झुका दिया है। फौज भी नवाज के साथ नजर आ रही है। अदालतों से भी उन्हें वहीं राहत मिल रही है, जो पिछले इस साल जुलाई तक इमरान खान को मिलती थी। लिहाजा, अब पाकिस्तान की सियासत में बदलाव देखने मिल सकते हैं।
आसिफ अली जरदारी अपने बेटे बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं, लेकिन नवाज की वापसी ने सियासी पलड़ा PML-N की तरफ झुका दिया है। (फाइल)

आसिफ अली जरदारी अपने बेटे बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं, लेकिन नवाज की वापसी ने सियासी पलड़ा PML-N की तरफ झुका दिया है। (फाइल)

इलेक्शन कमीशन और अदालतों को इशारों में धमकी

  • PPP लीडर राणा फारूक सईद के बयान में एक और अहम बात कही। उनके मुताबिक- सियासी गठजोड़ बनते और टूटते रहते हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन निजी रंजिश की कोई गुंजाइश सियासत में नहीं होनी चाहिए। अगर इलेक्शन में किसी पार्टी को हिस्सा लेने से रोका गया तो हम चुनाव के नतीजों को कबूल नहीं करेंगे।
  • अब इसके मायने समझिए। दरअसल, 9 मई को पाकिस्तानी फौज और ISI के साथ ही मुल्क के कुछ ऐतिहासिक महत्व के संस्थानों पर हमले हुए थे। 14 लोगों की मौत हुई थी। हमले का इलजाम सीधे तौर पर इमरान की पार्टी PTI पर लगा।
  • PTI के 1200 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। कुछ पर मिलिट्री कोर्ट्स में केस चल रहे हैं। इमरान भी इस केस में आरोपी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- इलेक्शन कमीशन 9 मई हिंसा मामले में PTI को बतौर पॉलिटिकल पार्टी हिस्सा लेने से रोक सकता है।
  • अगर ऐसा होता है तो पीपीपी को कोई सहयोगी पार्टी गठबंधन के लिए नहीं मिलेगी और नवाज की PML-N को एक तरह से वॉकओवर मिल जाएगा। पीपीपी का सिंध के बाहर ज्यादा वोट बैंक भी नहीं है। उसे लगता है कि हारने से पहले ही वो इलेक्शन कमीशन और अदालतों को दबाव में ले आए।
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