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- How Will The New Government Of Madhya Pradesh Balance Between Election Promises And Government Treasury, Read The Hindu Article Of 16 December.
3 घंटे पहले
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अपने चुनावी वादों को पूरा करने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी को सरकारी खजाने का भी ध्यान रखना होगा। हाल ही में मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रदेश में एक नया दौर शुरू कर दिया है। लगभग पिछले 20 सालों से मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान का युग अब समाप्त हो चुका है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने नए नेतृत्व को मौका दिया है। भले ही शिवराज सिंह चौहान आज भी प्रदेश के एक बड़े हिस्से में लोकप्रिय हैं, नए नेतृत्व के आने के साथ नेताओं और हित समूहों में फेरबदल होना संभव है। बीजेपी को मिली भारी बहुमत का बहुत बड़ा श्रेय शिवराज सिंह चौहान को जाता है जिन्होंने चुनाव से पहले प्रदेश भर में 165 रैलियां की। उनके द्वारा जुटाए बहुमत का लाभ लेकर नए मुख्यमंत्री अपनी दिशा तय कर सकते हैं।

जनजातियों के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए सरकार ने अपने पहले ही फैसले में तेंदू पत्ता के प्रति बोरी सरकारी कलेक्शन रेट को 3000 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए कर दिया है, इसका वादा उन्होंने अपने घोषणा पत्र में किया था।
पार्टी अपने प्रयासों का असर अन्य हिंदी भाषी राज्यों में होता देख रही है। मध्य प्रदेश की जनसंख्या में ओबीसी की हिस्सेदारी 50% से अधिक है, जबकि दलितों को हिस्सेदारी 17% है। प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में ब्राह्मणों को प्रभावशाली माना जाता है, जहां बीजेपी को भारी समर्थन मिलता रहा है। अन्य पिछड़ी जातियों की तुलना में यादवों का झुकाव बीजेपी की तरफ कम रहा है। इसलिए यादवों की नियुक्ति को बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है।
नई सरकार के सामने अनेक चुनौतियां होंगी। भाजपा के चुनाव अभियान में सबसे प्रमुख और प्रभावी वादा लाडली बहना योजना को बेहतर करना था। मौजूदा स्थिति में आर्थिक रूप से कमजोर, लगभग 1.31 करोड़ महिलाओं को हर महीने 1,250 रुपए की सहायता दी जाती है, जिसे बढ़ा कर 3000 रुपए करने का वादा शिवराज सिंह चौहान ने किया था। हालांकि, मोहन यादव ने सहायता राशि बढ़ाने के कोई संकेत नहीं दिए हैं।
बीजेपी ने गेहूं और धान की फसलों के समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 2700 रुपए और 3100 रुपए करने का वादा किया था। लाडली बहना योजना और केंद्र की पीएम उज्वला योजना का लाभ पाने वाली महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर 450 रुपए में देने का भी वादा है। इन वादों को पूरा करने और जनकल्याण की योजनाओं को जारी रखने के लिए राज्य सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अनुमान लगाया जाता है कि पिछली सरकारों द्वारा कई बार कर्ज लेने के कारण इस वक्त प्रदेश पर लगभग चार लाख करोड़ का कर्ज है। बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग में प्रतिनिधित्व और जन कल्याण योजनाओं का विस्तार देखा जा सकता है। इन प्रयासों में सामाजिक और आर्थिक कीमत भी जुड़ी हुई है।
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