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- France Abortion Law All You Need To Know; Emmanuel Macron’s Gift To French Woman On International Womens Day
पेरिस22 मिनट पहले
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शुक्रवार को 19वीं सदी की मशीन से प्रिंट निकालते जस्टिस मिनिस्टर मोरेटी। दाईं तरफ हैं प्रेसिडेंट मैक्रों।
फ्रांस की एमैनुएल सरकार ने इंटरनेशनल वुमन्स डे (8 मार्च) पर देश की महिलाओं को बड़ा तोहफा दिया। यहां गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दे दिया गया है। शुक्रवार को एक पब्लिक सेरेमनी के दौरान जस्टिस मिनिस्टर एरिक ड्यूपोंड मोरेटी ने 19वीं सदी की प्रिटिंग प्रेस इस्तेमाल करके इस संवैधानिक अधिकार की कॉपी निकाली।
इस मामले पर पिछले हफ्ते फ्रेंच पार्लियामेंट में वोटिंग हुई थी। प्रस्ताव के पक्ष में 780 और विरोध में 72 वोट पड़े थे। अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और मैक्सिको समेत दुनिया के कई देशों में गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने की मांग की जाती रही है। हालांकि, इस मांग को पूरा करने वाला फ्रांस पहला देश बना है।
यहां जानिए फ्रांस के इस नए संवैधानिक अधिकार से जुड़ी अहम बातें….

फ्रांस में ‘गर्भपात का कानूनी अधिकार’ 1975 से है। इसके तहत 14 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कराया जा सकता है। (प्रतीकात्मक)
पहले क्या थी स्थिति, अब क्या बदलेगा
- ‘कॉन्टेक्स्ट’ मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक- फ्रांस में ‘गर्भपात का कानूनी अधिकार’ 1975 से है। इसके तहत 14 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट कराया जा सकता है। मायने ये कि अगर किसी महिला को 14 हफ्ते तक का गर्भ है तो वो कानूनी तौर पर गर्भपात करा सकती है।
- 1988 में फ्रांस पहला ऐसा देश बना, जहां अबॉर्शन के लिए सरकार की तरफ से ‘मिफीप्रिस्टोन’ टैबलेट को मंजूरी दी गई। इतना ही नहीं सर्जरी या दवाइयों के के जरिए अबॉर्शन के लिए नेशनल इंश्योरेंस में भी कवर दिया गया है।
- अब सवाल ये है कि अगर अबॉर्शन गैरकानूनी नहीं था नेशनल इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होता था तो अब क्या बदलेगा। इसका उत्तर भी इतना ही आसान है। दरअसल, बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होगा। दरअसल, यूरोप के बाकी देशों की तरह फ्रांस में भी फ्रीडम राइट्स यानी आजादी के अधिकारों पर बेहद जोर दिया जाता है।
- महिला अधिकार संगठन लंबे वक्त से मांग कर रहे थे कि गर्भपात के अधिकार को संविधान का हिस्सा बनाया जाए। उनकी दलील थी कि इससे उन लोगों को हमेशा के लिए चुप कराया जा सकेगा जो महिला अधिकारों का बात-बात पर विरोध करते हैं।
- ‘फ्रांस 24’ के मुताबिक, इन संगठनों की पिछले दिनों एक प्रेस रिलीज में कहा था- फ्रांस और यूरोप के कुछ हिस्सों में दक्षिण पंथी हावी हो रहे हैं। ये महिला अधिकारों पर छोटी सोच रखकर उन्हें बंदिशों में रखना चाहते हैं। लिहाजा, फ्रांस में गर्भपात के अधिकार को संविधान में शामिल किया जाना जरूरी है।

यूरोपीय यूनियन में 27 देश हैं। ज्यादातर में प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने में अबॉर्शन को लेकर दिक्कत नहीं है। (प्रतीकात्मक)
बड़ा सवाल, क्या यह अधिकार खत्म भी किया जा सकता है
- सबसे पहले यह बिल सीनेट ने पास किया। इसके बाद दोनों सदनों की मुहर लगी। लिहाजा, ये बदलाव तो पहले ही स्वीकार किए जा चुके थे।
- अब महिलाओं को संविधान में एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन मिल गया है। इसलिए, संविधान में फिर संशोधन करके इस अधिकार को वापस लेना नामुमकिन न सही, लेकिन बेहद मुश्किल जरूर है।
- बिल को लेकर अब भी कई सवाल हैं। मसलन, कुछ महिला संगठन चाहते हैं कि अर्बाशन लिमिट 14 हफ्ते से ज्यादा होनी चाहिए थी। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को ज्यादा सुविधाएं मिलनी चाहिए। तीसरी मांग कुछ मजहबी है। इसके मुताबिक- यह तय किया जाना चाहिए कि कोई भी मेडिक (डॉक्टर) अपनी मजहबी मान्यताओं के चलते अबॉर्शन करने से इनकार नहीं करेगा।

अब एक नई मांग उठने लगी है कि यूरोपीय यूनियन के चार्टर में जो बुनियादी अधिकार यानी फंडामेंटल राइट्स दर्ज हैं, उनमें भी अबॉर्शन को शामिल किया जाए। (प्रतीकात्मक)
यूरोपीय यूनियन पर क्या असर होगा
- यूरोपीय यूनियन में 27 देश हैं। ज्यादातर में प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने में अबॉर्शन को लेकर दिक्कत नहीं है। यूरोप के ताकतवर महिला संगठनों की लंबे वक्त से मांग है कि इसे आसान बनाया जाना चाहिए, क्योंकि कई देशों में जानबूझकर कानूनी अड़चनें लगा दी जाती हैं। मसलन पोलैंड और माल्टा।
- हालांकि, ये संगठन ये भी मानते हैं कि फ्रांस की इस पहल का असर यूरोपीय यूनियन के बाकी देशों पर भी होगा। वैसे, उन्हें एक आशंका ये भी है कि परंपरावादी यानी कंजर्वेटिव्स इस पहल का विरोध भी करेंगे।
- अब एक नई मांग ये उठने लगी है कि यूरोपीय यूनियन के चार्टर में जो बुनियादी अधिकार यानी फंडामेंटल राइट्स दर्ज हैं, उनमें भी अबॉर्शन को शामिल किया जाना चाहिए।
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