Saturday , 2 August 2025
Breaking News

‘Four Daughters’ awarded with Best Documentary Award, arab diary 5, film is about islamic women and their tradition of wearing burkhas | डाक्यूमेंट्री में इस्लामिक स्टेट के आतंक और सेक्स क्राइम का सच दिखाया गया

[ad_1]
  • Hindi News
  • Entertainment
  • Bollywood
  • ‘Four Daughters’ Awarded With Best Documentary Award, Arab Diary 5, Film Is About Islamic Women And Their Tradition Of Wearing Burkhas

3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित तीसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के मुख्य प्रतियोगिता खंड में दिखाई गई ट्यूनीशिया की महिला फिल्मकार कौथर बेन हनिया की फिल्म ‘फोर डाटर्स’ को बेस्ट डाक्यूमेंट्री के पुरस्कार से नवाजा गया है।

‘फोर डाटर्स’ एक साहसिक डाक्यूमेंट्री है
‘फोर डाटर्स’ अतिवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के खिलाफ एक सशक्त सिनेमाई प्रतिरोध है। यह एक साहसिक डाक्यूमेंट्री है जो बताती हैं कि इस्लामिक स्टेट से सबसे ज्यादा नुकसान इस्लाम और मुसलमानों, खासकर मुस्लिम औरतों का हुआ है। उनकी क्रूरता, यौन शौषण और हिंसा की शिकार दुनिया भर की मुसलमान औरतें हीं हो रही हैं।

ऐसी औरतों को एक ओर जहां दिल दहलाने वाले शोषण से गुजरना पड़ता है। वहीं इस्लामिक स्टेट से किसी तरह आजाद होने या अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा छुड़ाए जाने पर बाकी जिंदगी जेलों में काटनी पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया भर में आतंकवादी संगठनों को लेकर ऐसे ही कानून (जीरो टालरेंस) बनाए गए हैं।

इस्लामी क्रान्ति के बाद मुस्लिम लड़कियों पर हिजाब और बुर्का पहनने का दबाव बढ़ा
ट्यूनीशिया के समुद्री शहर सौशे की एक तलाकशुदा औरत ओल्फा हमरानी ने अप्रैल 2016 में मीडिया में सरकार पर यह आरोप लगाकर तहलका मचा दिया था कि उसकी चार में से दो बेटियां गायब हैं, और उन्हें ढूंढने में सरकार उसकी मदद नही कर रही है। उसने यह भी कहा था कि अरब स्प्रिंग (2010) के बाद मुस्लिम देशों में राजनेताओं द्वारा जिहादी मौलवियों- इमामों के प्रति नरमी बरते जाने से इस्लामिक स्टेट को मदद मिली है। बाद में पता चला कि ओल्फा हमरानी की दोनों बड़ी बेटियां रहमा और गुफरान ‘लव जिहाद’ का शिकार होकर सीरिया और लीबिया में इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने चली गई हैं।

इस्लामी क्रान्ति के बाद मुस्लिम लड़कियों पर हिजाब और बुर्का पहनने का दबाव बढ़ा। एक दिन शहर के चौराहे पर रहमा और गुफरान पर कुछ जिहादी लड़के हिजाब फेंकते हैं और यहीं से रेडिकलाइजेशन बुनियाद पड़ती है। ओल्फा की हंसती खेलती लड़कियां कहती हैं कि हिजाब और बुर्का सारी सुंदरता को ढक देता है।

‘फोर डाटर्स’ में एक नया सिनेमा देखने को मिला
दिसंबर 2021 में इन दोनों को लीबिया की फौजों ने मुक्त तो कराया पर फरवरी 2023 में गुफरान को 16 साल जेल की सजा हुई और रहमा की इस बीच मौत हो गई। ओल्फा हमरानी अपनी दो बची हुई बेटियों- ईया और तायसीर के साथ लीबिया की जेल में बंद अपनी बेटी गुफरान से मिलने की अनुमति के इंतजार में हैं।

कौथर बेन हनिया ने ‘फोर डाटर्स’ में एक नये तरह का सिनेमा रचा है। उन्होंने वास्तविक चरित्रों के साथ अभिनेताओं से काम कराया है। हम देखते हैं कि ट्यूनीशिया का समाज इतना आधुनिक और खुले विचारों वाला है। ओल्फा की चारों बेटियों की दिनचर्या में वास्तविक सुंदरता और आजादी है। इस्लामी रेडिकलाइजेशन के बाद सबकुछ बदल जाता है।

​​​इमोशंस से भरपूर है कहानी
हिजाब बुर्का के पहले और बाद के जीवन को इन लड़कियों की निगाह से देखते हुए हम कई बार भावुक हो उठते हैं। रहमा और गुफरान की भूमिकाएं इचराक मतार और नूर करोई ने निभाई है जबकि बाकी दो बेटियां- ईया और तायसीर ने अपनी-अपनी भूमिकाएं खुद निभाई हैं। ओल्फा की भूमिका हेंद साबरी ने और खुद ओल्फा ने की है।

कई दृश्यों में यह देखना मजेदार है कि ओल्फा अपनी भूमिका निभा रही हेंद साबरी की गलतियों को ठीक करती चलती है। चार बहनों और उनकी मां के बीच के चौतरफे भावनात्मक रिश्तों की सिंफनी में पूरी फिल्म हमारे समय का एक अनदेखा कोलाज रचती है। इसमें कलाकार और वास्तविक चरित्र इस सच्ची कहानी को दोबारा अभिनित करते हैं।

औरतें प्रेम करती हैं और मर्द अक्सर धोखा देते हैं
फिल्म में अलग से कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, पर इन पांच औरतों के मानवीय दुःखों के माध्यम से निर्देशक ने वह सबकुछ कह दिया है जिसे स्वीकार करने से मुस्लिम देशों के राजनेता और शासक बचते नजर आ रहे हैं। इसके बावजूद कि इस्लामी आतंकवाद सबसे पहले उन्हें ही खत्म करेगा। यहां हम बेल्जियम के आदिल अल अरबी और बिलाल फल्लाह की सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्म ‘रेबेल’ को याद कर सकते हैं। यह एक हृदयविदारक साहसिक फिल्म है जो आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएसआइएस) के पूरे प्रपंच को परत दर परत बेपर्दा करती है। फिल्म यह भी बताती है कि औरतें प्रेम करती हैं और मर्द अक्सर धोखा देते हैं।
(सऊदी अरब से मशहूर फिल्म समीक्षक और पत्रकार अजित राय की रिपोर्ट)


[ad_2]
Source link

Check Also

समाज, संस्कृति और प्रेरणा का अनूठा संगम पेश करती किताब ‘गल्लां दिल दी

इंद्री 20 अगस्त (निर्मल संधू) हाल ही में प्रकाशित किताब ‘गल्लां दिल दी’ अपने संवेदनशील …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *