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- Earthquake Tremors In Taiwan And Japan, Intensity 7.2 On Richter Scale, Tsunami Alert Issued
टोक्यो6 मिनट पहले
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भूकंप के झटकों के बाद जापान में एक पुल हिलने लगा।
ताइवान में बुधवार (3 अप्रैल) को 7.5 तीव्रता का भूकंप आया। इसके झटके जापान तक महसूस किए गए। इस भूकंप के बाद ताइवान, जापान और फिलीपींस में सुनामी का अलर्ट जारी कर दिया गया है। जापान के मौसम विभाग ने समुद्र में 3 मीटर यानी करीब 10 फीट तक की लहरें उठने का अनुमान जताया है। फिलहाल जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
ताइवानी सेंट्रल वेदर ब्यूरो के मुताबिक, यह ताइवान में 25 सालों में आना वाला सबसे खतरनाक भूकंप है। इसके पहले 1999 में 7.6 तीव्रता का भूंकप आया था। तब 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
भूकंप से जुड़े 2 बड़े फुटेज…

सोशल मीडिया पर भूकंप से ताइवान के हुलिएन शहर में हुई तबाही की यह फुटेज वायरल हो रहा है।

जापान में एक पुल पर खड़ी गाड़ियां हिलने लगीं।
ताइवान में हुए नुकसान पर नजर…
1. दस हजार घरों में बिजली नहीं
ताइवानी मीडिया के मुताबिक, बुधवार सुबह आए भूकंप से ताइवान के 10 हजार से ज्यादा घरों में बिजली नहीं है। भूकंप से तारों और पावर प्लांट को नुकसान पहुंचा है। बिजली वापस लाने के लिए काम जारी है। वहीं, इंटरनेट सर्विस भी बंद हो गई है।

पूर्वी ताइवान के हुलिएन शहर में भूकंप की वजह से इमारत टेढ़ी हो गई।

ताइवान की राजधानी ताइपे में एक घर के अंदर भूकंप से हुई तबाही।
2. 6.5 तीव्रता का आफ्टरशॉक आया
ताइवान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक भूकंप ईस्ट ताइवान के हुलिएन शहर में आया। इसका केंद्र धरती से 34 किलोमीटर नीचे था। भारतीय समय के मुताबिक सुबह 5:30 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। कई आफ्टरशॉक्स भी आए हैं। इनमें से सबसे तेज 6.5 तीव्रता का आफ्टरशॉक भी आया।

फुटेज हुलिएन शहर का है। भूकंप से एक इमारत टेढ़ी हो गई। आस-पास का इलाका खाली कराया गया है।
अब जापान में हुए नुकसान पर नजर…
1. मरीजों तक नहीं पहुंच पा रहे डॉक्टर
जापान में भूकंप में कई लोगों के घायल होने की खबर है। इन लोगों को इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। इसकी वजह ये है कि भूकंप की वजह से ज्यादातर सड़कें टूट चुकी हैं और डॉक्टर्स प्रभावित जगहों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

भूकंप के बाद इशिकावा प्रांत के वाजिमा शहर में सड़क पर दरारें आ गईं। कई इलाकों की सड़कें टूट भी गईं।

भूकंप से जापान के घरों में लगे पंखे और लाइट हिलने लगे। सोशल मीडिया पर यह फुटेज वायरल हो रहा है।
2. फ्लाइट्स कैंसल की गईं
भूकंप का सबसे ज्यादा असर जापान के ओकिनावा प्रांत में देखने को मिला। यहां आने-जाने वाली सभी फ्लाइट्स कैंसल कर दी गई हैं। ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने कहा कि एहतियात के तौर पर सभी फ्लाइट्स कैंसल की गई हैं।

तस्वीर जापान के ओकिनावा प्रांत के नाहा शहर की है। यहां लोग अपने घरों से बाहर आ गए।
जापान में 1 जनवरी को 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था
1 जनवरी 2024 को 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके बाद यहां सुनामी आ गई थी। वाजिमा शहर में करीब 4 फीट ऊंची (1.2 मीटर) लहरें उठी थीं। हालांकि, शाम को सरकार ने सुनामी की हाईएस्ट वॉर्निंग वापस ले ली थी।
रिंग ऑफ फायर पर बसा है जापान
जापान भूकंप के लिहाजे से सेंसिटिव है। यहां भूकंप आते रहते हैं, क्योंकि ये दो टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन के पास स्थित है। इशिकावा प्रान्त, जहां भूकंप आया है, महासागर के चारों ओर भूकंपीय फॉल्ट लाइनों की एक घोड़े की नाल के आकार की श्रृंखला- रिंग ऑफ फायर के करीब स्थित है।
रिंग ऑफ फायर ऐसा इलाका है जहां कॉन्टिनेंटल प्लेट्स के साथ ओशियनिक टेक्टॉनिक प्लेट्स भी मौजूद हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है। इनके असर से ही सुनामी आती है और वोल्केनो भी फटते हैं।
दुनिया के 90% भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर में आते हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया में जितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं, उनमें से 75% इसी क्षेत्र में हैं। 15 देश- जापान, रूस, फिलीपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, कनाडा, अमेरिका, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका, पेरू, इक्वाडोर, चिली, बोलिविया रिंग ऑफ फायर की जद में हैं।

फुकुशिमा प्लांट पर पैनी नजर
जापानी मीडिया के मुताबिक फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट पर पैनी नजर रखी जा रही है। दरअसल, जापान में मार्च 2011 में 9 तीव्रता वाले भूकंप के कारण जबरदस्त सुनामी आई थी। तब उठी सुनामी की लहरों ने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को तबाह कर दिया था।
इसे पर्यावरण को नुकसान के लिहाज से बड़ी घटना माना गया था। तब समुद्र में उठी 10 मीटर ऊंची लहरों ने कई शहरों में तबाही मचाई थी। इसमें करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी।
दुनिया में हर साल 20 हजार भूकंप आते हैं
हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इंफॉर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है। इसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान ज्यादा होता है। भूकंप कुछ सेकेंड या कुछ मिनट तक रहता है। अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।

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