Friday , 1 August 2025
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Closing schools due to pollution is not a solution, children suffer double loss of education and health; Delhi Parents Association raised questions | पॉल्‍यूशन के नाम पर स्‍कूल बंद करने का फायदा क्‍या, कोचिंग तो जाना ही होता है; पैरेंट्स एसोसिएशन ने उठाए सवाल

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2 घंटे पहले

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दिल्ली में बढ़ते पॉल्यूशन की वजह से साल की निर्धारित छुट्टियों के अलावा 7 दिन और स्कूल बंद हुए हैं। इसी दौरान 6वीं से 12वीं की क्लासेज को ऑनलाइन कर दिया गया है। इससे बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों पर पड़ने वाले असर को हमने पेरेंट्स और टीचर्स के नजरिए से समझने की कोशिश की।

दोहरी मार झेल रहे हैं बच्चे

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि बढ़ते पॉल्यूशन के बीच स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स दोहरा नुकसान झेल रहे हैं। स्कूल बंद होने या क्लासेज ऑनलाइन मोड पर आने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं, बढ़ता पॉल्यूशन स्कूल, कोचिंग और ट्यूशन जाने वाले स्टूडेंट्स की हेल्थ के लिए भी नुकसानदायक है।

पढ़ाई का नुकसान

दिल्ली सरकार के अनुसार स्कूली स्टूडेंट्स की पढ़ाई ढंग से हो इसके लिए सालभर में 220 वर्किंग डेज होना जरूरी है। लेकिन पिछले कुछ सालों से पॉल्यूशन के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा। जिसकी वजह से या तो कोर्स पूरा नहीं हो पाता या टीचर्स को जैसे-तैसे कोर्स पूरा कराना पड़ता है। ऐसे में कई जरूरी टॉपिक्स बच्चों की समझ से दूर रह जाते हैं।

हेल्थ का नुकसान

दिल्ली में AQI 450 के पार हो चुका है। WHO 0 से 50 के बीच के AQI को सेफ मानता हैं। WHO की तय सीमा के अनुसार वर्तमान में दिल्ली की हवा तय सीमा से 20 गुना ज्यादा प्रदूषित है। दिल्ली AIIMS के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के एडिशनल प्रोफेसर डॉ पीयूष रंजन ने बताया कि खराब एयर क्वालिटी से अलग-अलग तरह के कैंसर होने का खतरा रहता है। इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर नीरज गुप्ता ने कहा कि जैसे-जैसे AQI बढ़ता है, बच्चों के दिमागी विकास पर बुरा असर पड़ता है और उनकी मानसिक शक्ति कम होने लगती है।

बोर्ड एग्जाम्स वाले बच्चों का सबसे ज्यादा नुकसान

10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम्स में इस बार अपियर होने वाले स्टूडेंट्स को पॉल्यूशन की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है। उनके सब्जेक्ट्स ऐसे होते हैं जिन्हें ऑनलाइन मोड पर समझना मुश्किल होता है। इसके अलावा अगर क्लासेज ऑनलाइन कर भी दी जाए तो भी उन्हें कोचिंग और ट्यूशन के लिए तो जाना ही पड़ता है। ऐसे में पढ़ाई का नुकसान तो हो ही रहा है, उनकी हेल्थ पर भी इसका असर पड़ रहा है।

प्रदूषण छुट्टियां शेड्यूल में शामिल नहीं

अपराजिता कहती हैं कि पिछले 8-10 सालों से दिल्ली-NCR में प्रदूषण और स्मॉग के चलते स्कूलों की छुट्टियां होती आई हैं। लेकिन दिल्ली शिक्षा विभाग प्रदूषण की छुट्टियों को शेड्यूल में शामिल नहीं करता। इसकी वजह से स्कूलों को छुट्टियों के हिसाब से कोर्स प्लान करने का मौका नहीं मिलता। हर साल इन दिनों में पॉल्यूशन बढ़ता ही हैं। ऐसे में डिपार्टमेंट पहले ही अगर ‘प्रदूषण छुट्टियां’ शेड्यूल में शामिल करे तो स्कूल बेहतर ढंग से कोर्स और एग्जाम्स को लेकर प्लानिंग कर पाएंगे।

‘कॉलेज की क्लासेज भी ऑनलाइन हों’

ऑरबिंदो कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर और दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के डॉ हंसराज ने कहा कि कोविड के बाद यंगस्टर्स को भी सांस से रिलेटेड प्रॉब्लम्स होने लगी हैं। बहुत से ऐसे टीचर्स हैं जिन्हें सीरियस ब्रीदिंग इशू हैं। काफी प्रोफेसर्स ऐसे हैं जो 50 प्लस एज ग्रुप में आते हैं। ऐसे में ऑफलाइन कॉलेज से इन सबकी हेल्थ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कॉलेज की भी क्लासेज ऑनलाइन कंडक्ट कराई जा सकती हैं। कोविड महामारी के बाद अब सभी ऑनलाइन क्लासेज से अवेयर हो चुके हैं।

दिल्ली में क्या है स्थिति

राजधानी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। स्विस ग्रुप IQAir के वर्ल्ड एयर क्वालिटी इंडेक्स में दिल्ली टॉप पर है। दिल्ली का लेटेस्ट एवरेज एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज किया गया है जोकि एक्सट्रीमली सीवियर कंडीशन है। 1 नवंबर से एयर पॉल्यूशन की स्थिति दिल्ली में ऐसी ही बनी हुई है।

इसे देखते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 13 से 20 नवंबर तक गाड़ियों के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू रहेगा। साथ ही 5वीं तक के सभी स्कूलों को 10 नवंबर तक के लिए बंद करने का आदेश दिया गया है। 6वीं से 12वीं तक के स्कूलों को ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज चलाने का ऑप्शन दिया गया है।

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