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2 घंटे पहले
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डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा है, “इस पूरी दुनिया में वही गरीब है, जो शिक्षित नहीं है।” शिक्षा किसी भी बच्चे का मूलभूत और सबसे जरूरी अधिकार है, जिसको किसी भी बच्चे से छीना नहीं जाना चाहिए। शिक्षा की जरूरत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN) ने शिक्षा को बढ़ावा देने और शांति और विकास में शिक्षा के महत्व के लिए 24 जनवरी 2019 को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की शुरुआत की।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास
पहली बार 20 नवंबर 1989 को यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने बच्चों के अधिकारों के लिए अनिवार्य शिक्षा का नियम पारित किया गया था। 3 दिसंबर 2018 को, यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने दुनियाभर में शांति और विकास में शिक्षा के महत्व को समझा और नाइजीरिया समेत 58 सदस्य देशों द्वारा अनिवार्य शिक्षा के लिए प्रस्ताव रखा गया। इसके बाद 24 जनवरी 2019 को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की शुरुआत की गई।
इस साल की थीम

यूनेस्को, एक संगठन जो शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है, चाहता है कि हम समझें कि शांति के प्रति प्रतिबद्धता बनाने में शिक्षा जरूरी है। इस वर्ष के समारोह का उद्देश्य ये बताना है कि शिक्षा और शिक्षक नफरत भरे भाषण का मुकाबला करने में कैसे मदद कर सकते हैं।
यूनेस्को के जनरल डायरेक्टर , ऑड्रे अजोले ने कहा, “घृणास्पद भाषण का तुरंत प्रसार सभी कम्युनिटी के लिए खतरा है। हमारी सबसे बेहतर सुरक्षा शिक्षा है, जो किसी भी शांति प्रयासों के केंद्र में होनी चाहिए।”
यूनेस्को ने कहा, इस थीम को अपनाने का उद्देश्य शांति के लिए काम करना आज पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है और इसके लिए शिक्षा पहली जरूरत है।
25 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर
यूनेस्को की एक रिपोर्ट अनुसार, आज 25 करोड़ बच्चे और युवा स्कूल से बाहर हैं, और लगभग 76 करोड़ वयस्क अनपढ़ हैं।
भारत में शिक्षा का अधिकार
भारत में शिक्षा का अधिकार 86वें संशोधन अधिनियम 2009 के बाद अनिवार्य किया गया। जिसमें 6 से 14 साल तक के उम्र के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा दिया जाना अनिवार्य है। 2019 में जारी की गई नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट के अनुसार, 13 वर्ष तक की आयु के 3.2 करोड़ भारतीय बच्चे कभी कभी स्कूल गए ही नहीं और उनमें ज्यादातर बच्चे पिछड़े वर्ग से थे। हाल ही में आई एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 13 साल से कम उम्र के 25% ग्रामीण बच्चे शिक्षा से दूर हैं, जो क्लास 2 का कोर्स भी नहीं पढ़ पाते हैं।
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