न्यूयार्क23 मिनट पहले
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PM नरेंद्र मोदी ने एक हफ्ते पहले चुनावी सभा के दौरान देश से आतंकवाद खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार के कड़े फैसलों पर बात की थी। पीएम ने कहा था- आज भारत में मोदी की मजबूत सरकार है, आतंकवादियों को घर में घुसकर मारा जाता है।
इसको लेकर अमेरिका की तरफ से रिएक्शन आया। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक प्रेस कांफ्रेंस में सवालों का जवाब देते हुए कहा- अमेरिका इसके बीच में नहीं पड़ने वाला है, लेकिन हम भारत और पाकिस्तान दोनों से कहना चाहेंगे कि, जितना हो सके टकराव से बचें और बातचीत के जरिए हल निकालें।
अमेरिका इस वक्त पीएम मोदी के आतंकियों को लेकर दिए बयान पर कोई टिप्पणी करने से बच रहा है लेकिन हाल ही में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका की तरफ से रिएक्शन आया था, जिसका भारत ने भी जवाब दिया था।
केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका ने क्या कहा था
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पहली बार 26 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के केस में बयान दिया था।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार (26 मार्च) को केजरीवाल की गिरफ्तारी पर पहली बार बयान दिया था। मिलर ने कहा था, “हमारी सरकार मामले पर नजर बनाए हुए है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस दौरान कानून और लोकतंत्र के मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए।”
भारत का जवाब: भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर ऐतराज जताते हुए बुधवार (27 मार्च) को अमेरिकी डिप्लोमैट ग्लोरिया बारबेना को तलब किया था। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और उनके बीच करीब 40 मिनट तक बैठक हुई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था, “भारत में कानूनी कार्रवाई पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान गलत है।”
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा था, “कूटनीति में उम्मीद की जाती है कि देश एक-दूसरे के आंतरिक मसलों और संप्रभुता का सम्मान करेंगे। भारत में कानूनी प्रक्रिया एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित है। उस पर कलंक लगाना या सवाल उठाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।”
भारत बोला- सहयोगी देश हमारी कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करें
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 28 मार्च को केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में अमेरिका के बयान का विरोध किया था।
केजरीवाल के मामले में भारत की नाराजगी के बावजूद अमेरिका ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा था, “हम अपने स्टैंड पर कायम हैं और इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी होगी।”
अमेरिका के इस बयान का विरोध करते हुए जायसवाल ने कहा था, “भारत की चुनावी और कानूनी प्रक्रिया पर किसी दूसरे देश की टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। भारत में चुनावी प्रक्रिया कानून के शासन के हिसाब से चलती है। किसी भी सहयोगी देश, खासकर जो खुद लोकतांत्रिक है, उसे इस प्रक्रिया का सम्मान करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “आपसी सम्मान और विश्वास ही दो देशों के रिश्तों की नींव होती है। हम उम्मीद करते हैं कि सहयोगी देश हमारी संप्रभुता और हमारे आंतरिक मामलों का सम्मान करेंगे।
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