Saturday , 2 August 2025
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Ae Watan Mere Watan Trailer Update; Sara Ali Khan, Emraan Hashmi | Usha Mehta Biopic | ‘ऐ वतन मेरे वतन’ ट्रेलर रिलीज: पहली बार इमरान हाशमी के साथ नजर आएंगी सारा अली खान, रेडियो स्टेशन से छेड़ेंगी अंग्रेजों के खिलाफ जंग

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58 मिनट पहले

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करण जौहर के बैनर तले बनी फिल्म ‘ए वतन मेरे वतन’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। इस फिल्म सारा अली खान और इमरान हाशमी पहली बार साथ काम करने नजर आएंगे। रियल लाइफ इंसीडेंट पर बेस्ड यह फिल्म फ्रीडम फाइटर ऊषा मेहता की बायोपिक है। कनन अय्यर निर्देशित यह फिल्म 21 मार्च को प्राइम वीडियो पर प्रीमियर होगी।

फिल्म के ट्रेलर में पूरी तरह से सारा के किरदार पर ही फोकस किया गया है।

फिल्म के ट्रेलर में पूरी तरह से सारा के किरदार पर ही फोकस किया गया है।

ट्रेलर में पूरी तरह छाईं सारा अली खान
फिल्म के ट्रेलर में शुरू से लेकर अंत तक पूरी तरह से सारा ही छाई हुई हैं। सच्ची घटनाओं से प्रेरित इस फिल्म की कहानी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के इर्द-गिर्द बुनी गई है।

ट्रेलर में दर्शकों को आजादी से पहले के दौर की झलक मिलती है। बंबई की 22 साल की कॉलेज गर्ल, उषा मेहता गांधीवादी विचारों से प्रेरित होकर देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा ले लेती हैं। वो गुपचुप तरीके से एक रेडियो स्टेशन चलाकर इस लड़ाई में योगदान देती हैं। धीरे-धीरे यही रेडियो स्टेशन भारत छोड़ो आंदोलन की आग को हवा देने वाला सबसे बड़ा जरिया बन जाता है।

अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने वाली इस फिल्म में इमरान हाशमी का गेस्ट अपीयरेंस भी होगा।

अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने वाली इस फिल्म में इमरान हाशमी का गेस्ट अपीयरेंस भी होगा।

फिल्म में होगा इमरान का गेस्ट अपीयरेंस
फिल्म का पूरा दारोमदार सारा के कंधों पर है। उनके अलावा इसमें ‘लापता लेडीज’ फेम स्पर्श श्रीवास्तव, सचिन खेडेकर और एलक्स ओ नील जैसे एक्टर्स नजर आएंगे। वहीं इमरान हाशमी इसमें गेस्ट अपीयरेंस में होंगे। ट्रेलर में उनके किरदार की भी झलक देखने काे मिली है। हालांकि, उन्हें पहचान पाना काफी मुश्किल है।

इस फिल्म में सचिन खेडेकर, सारा के पिता के रोल में नजर आएंगे।

इस फिल्म में सचिन खेडेकर, सारा के पिता के रोल में नजर आएंगे।

कौन थीं ऊषा मेहता ?
ऊषा मेहता भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनका जन्म 25 मार्च 1920 में गुजरात के सूरत में हुआ था। ऊषा ने मात्र 8 साल की उम्र में पहली बार साइमन कमीशन प्रोटेस्ट मार्च में हिस्सा लिया था। इसके बाद उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं। वो महात्मा गांधी के नेतृत्व में रेडियो प्रसारण और सन्देश प्रसार का काम करती थीं।

ऊषा ने मात्र 22 साल की उम्र में अंग्रेजों से छिपकर रेडियो स्टेशन चलाकर आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था।

ऊषा ने मात्र 22 साल की उम्र में अंग्रेजों से छिपकर रेडियो स्टेशन चलाकर आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था।

उनका प्रमुख कार्यक्षेत्र आजाद रेडियो था जो 1942 से 1944 तक चला। वो ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध समाचार और प्रसारण को ऑर्गेनाइज करने में अहम भूमिका निभाती थीं और लोगों को आजादी के संदेश सुनाकर आजादी की लड़ाई का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करती थीं। 1998 में भारत सरकार ने ऊषा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।


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