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1897 recruitments were done in DU colleges without government orders, now orders have been received to recover salaries from principals for 9 years | EduCare न्‍यूज: DU के कॉलेजों में बिना सरकारी आदेश हो गईं 1897 भर्तियां, अब 9 साल से मिल रही सैलरी प्राचार्यों से वसूलने का आदेश

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6 घंटे पहले

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दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 12 कॉलेजों में बीते कई सालों से बिना सरकारी आदेश के भर्तियां की जा रही हैं। शिक्षा विभाग ने पाया है कि इन कॉलेजों ने 2015 से अब तक 1,897 टीचिंग और नॉन-टीचिंग पदों पर कॉलेजों में भर्तियां की हैं। दिल्ली की शिक्षामंत्री आतिशी ने हायर एजुकेशन सेक्रेटरी को इन 12 कॉलेजों की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।

शिक्षामंत्री ने कहा सरकारी प्रक्रियाओं का उल्‍लंघन

शिक्षामंत्री ने कहा कि कॉलेजों में भर्ती की प्रक्रिया में बड़ी अनियमितताएं हुई हैं। इन कॉलेजों ने दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना 1,897 कर्मचारियों को नियुक्‍त किया है जिसमें 939 टीचिंग और 958 नॉन-टीचिंग पदों के लिए हैं। उन्‍होंने कहा कि ये तय सरकारी प्रक्रियाओं और नियमों का उल्लंघन है।

दिया गया वेतन वसूलने का भी निर्देश

उन्होंने सचिव को निर्देश दिया कि वे ऐसी रिक्तियां निकालने के लिए जिम्मेदार प्राचार्यों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। इसके अलावा अवैध रूप से नियुक्त स्टाफ सदस्यों को 2015 से अब तक दिए गए वेतन की वसूली के भी निर्देश दिए गए हैं। आतिशी ने कहा कि इन कॉलेजों को सरकारी खजाने से फंड दिया जाता है। ऐसे में पैसे के दुरुपयोग के लिए कॉलेजों को ही जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

शिक्षामंत्री के फैसले पर उठे सवाल

शिक्षामंत्री के इस फैसले पर विश्‍वविद्यालय-कॉलेज कर्मचारी परिषद के राष्‍ट्रीय महामंत्री मनोज त्‍यागी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्‍होंने कहा कि सभी भर्तियां नोटिफिकेशन जारी करके ही की गई हैं। दिल्‍ली सरकार अब यूनिवर्सिटी पर गलत आरोप मढ़ रही है। कॉलेजों की स्‍थापना से लेकर अभी तक सभी भर्तियां तय नियमों के तहत ही की गई हैं, मगर 2015 के बाद से ही परेशानियां शुरू हुई हैं।

‘फ्री आइटम देकर दीवालिया हो गई है सरकार’
उन्‍होंने कहा कि ये सरकार मुफ्त के आइटम बांट-बांट के दीवालिया हो गई है, इसलिए अब कर्मचारियों का वेतन देने के लिए भी फंड नहीं बचा है। अगर यूनिवर्सिटीज में गलत भर्तियां हुई हैं, तो बाकी विभागों में वेतन क्‍यों रुके हैं। DTC के रिटायर्ड कर्मियों को पेंशन क्‍यों नहीं मिल रही, MCD कर्मियों का भुगतान क्‍यों नहीं किया जा रहा।

उन्‍होंने सवाल किया कि सत्‍ता में आने से पहले AAP सरकार ने रोजगार बढ़ाने के वादे किए थे। कॉन्‍ट्रैक्‍ट कर्मियों को पर्मानेंट करने की बात कही थी। नॉन-टीचिंग पदों पर 10% OBC और 25% EWS कोटे की भर्ती अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं। नए अपॉइंटमेंट नहीं हो रहे, इसलिए आउटसोर्सिंग से लोग रखने पड़ रहे हैं। ऐसे में अगर कोई करप्‍शन होता है, तो इसका जिम्‍मेदार कौन होगा? उन्‍होंने कहा कि दिल्‍ली यूनिवर्सिटी और दिल्‍ली सरकार की लड़ाई में कॉलेजों, कर्मियों और स्‍टूडेंट्स को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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