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फरीदाबाद में मरीज के स्वास्थ्य से खिलवाड़:सरकारी एंबुलेंस ड्राइवर-ENT ने कमिशन के चक्कर में जबरन निजी अस्पताल में कराया एडमिट

हरियाणा के फरीदाबाद में बादशाह खान (BK) नागरिक अस्पताल में एम्बुलेंस ड्राइवर और ENT पर कमिशन के लालच में मरीजों को जबरन निजी अस्पताल में ले जाकर भर्ती करवाने के गंभीर आरोप लगे हैं।

वे मरीजों व उनके परिजनों को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाने की बजाय, वहां पहुंचने से पहले हीर मौत का भय दिखाकर प्राइवेट अस्पताल में ले जाने को उकसाते हैं। एक महिला मरीज के पति ने इस बारे में दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

गुरुग्राम के रहने वाले मोनू कुमार ने बताया कि 23 जनवरी को उसकी पत्नी खुशबू की तबीयत अचानक से खराब हो गई थी। वह 6 माह की गर्भवती थी। उसे लेकर वह 23 जनवरी की सुबह फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में गया। वहां पर उसकी पत्नी को प्रसूति वार्ड में डॉक्टरों ने भर्ती कर लिया। लेकिन अगले दिन 24 जनवरी की शाम 4 बजे उसकी पत्नी ने 6 माह की बच्ची को जन्म दिया। बच्ची की कुछ देर बाद मौत हो गयी।

महिला के पति को यह कहकर डराया

मोनू का कहना है कि 24 जनवरी की रात को लगभग 2:00 बजे उसकी पत्नी की तबीयत बिगड़ने लगी तो डॉक्टर ने उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद वह अस्पताल के गेट पर स्थित 112 कंट्रोल रूम से एम्बुलेंस लेकर आया।

पत्नी को एम्बुलेंस में बैठाया तो उसमे मौजूद मौजूद ड्राइवर ने अपना नाम कन्हैया और उसके साथ वाले ने अपना नाम ENT कृपा राम बताया। आरोप है कि दोनों ने उस पर दबाव बनाते हुए कहा कि तुम्हारी पत्नी की हालत काफी नाजुक है। यह दिल्ली नहीं पहुंच पाएगी। दिल्ली जाने में 2 घंटे से ज्यादा समय लगेगा, तुम यहीं कहीं आसपास दिखा लो।

मोनू कुमार ने कहा कि उसने मना किया कि उसके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह अपनी पत्नी को दिल्ली ले जाना चाहता है। आरोप है कि कृपाराम और ड्राइवर कन्हैया ने उस पर दबाव बनाया और कहा की 5-10 हजार रुपए खर्च आएंगे। तुम पास के ही अस्पताल में ले चलो। जब उसकी तबीयत में सुधार हो जाएगा, तब तुम इसे दिल्ली ले जाना। हम तुम्हें अपनी ही सरकारी एम्बुलेंस से दिल्ली छोड़ देंगे।

जबरन निजी अस्पताल में कराया भर्ती

महिला के पति ने बताया कि मोनू ने बताया की इसी दौरान बुलेट मोटरसाइकिल पर 3 अन्य युवक आए। उन्होंने भी उस पर यही दबाव बनाया और उसे जबरन रेलवे रोड स्थित गोल चक्कर के पास प्रयाग हॉस्पिटल में लेकर गए। इस दौरान एम्बुलेंस में ड्राइवर और EMT के अलावा बुलेट बाइक पर तीन अन्य लोग भी अस्पताल में पहुंचे जो कि उसे प्रयाग हॉस्पिटल के दलाल लग रहे थे या फिर वह 112 कंट्रोल रूम से कोई कर्मचारी थे।

प्रयाग हॉस्पिटल पहुंचने पर डॉक्टर अमित ने उसकी पत्नी खुशबू को इलाज के लिए भर्ती कर लिया। डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारी पत्नी की हालत नाजुक है। इसे प्लेटलेट्स की बहुत जरूरत है। कहीं से भी इंतजाम कर प्लेटलेट्स लेकर आओ। उसने 10 हजार रुपए भी जमा करा लिए। पूरी रात उसकी पत्नी की तबीयत ठीक नहीं हुई। डॉक्टर अमित उस पर प्लेटलेट्स लाने का दबाव बनाता रहा।

मोनू ने बताया की उसकी पत्नी की तबीयत ज्यादा बिगड़ती जा रही थी। फिर उसे किसी ने वहीं पर सलाह दी कि प्रयाग हॉस्पिटल में रोज किसी न किसी मरीज की इलाज में हुई लापरवाही के चलते मौत होती है। रोज बीके अस्पताल से इसी प्रकार मरीजों को बहला फुसलाकर और दबाव बनाकर भर्ती करवाया जाता। अपनी पत्नी को बचाना चाहते हैं तो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाओ।

मोनू के मुताबिक 25 जनवरी की सुबह 11 बजे डॉक्टर अमित को उसने कहा कि वह अपनी पत्नी को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाना चाहता है। पत्नी को डिस्चार्ज कर दें, जो बिल बकाया है, वह उसे भी जमा करने के लिए तैयार है। लेकिन डॉक्टर अमित फिर भी उस पर दबाव बनाता रहा कि तुम्हारी पत्नी दिल्ली नहीं पहुंच पाएगी। रास्ते में कुछ हो सकता है।

दिल्ली ले जाने से किया गया मना

दूसरी तरफ उसकी पत्नी को एम्बुलेंस से भर्ती करवाने वाले ENT और ड्राइवर के भी बार-बार उसके पास फोन आते रहे और उस पर दबाव बनाते रहे कि तुम अपनी पत्नी का यहीं पर इलाज कराओ। तुम्हारे पत्नी दिल्ली नहीं पहुंच सकती। लेकिन वह अपनी पत्नी को दिल्ली ले जाना चाहता था और वह उसे डिस्चार्ज कराने पर अड़ा रहा। फिर भी डॉक्टर अमित ने उसकी पत्नी को शाम के 4:00 बजे फुल पेमेंट लेने के बाद डिस्चार्ज किया।

जैसा कि एम्बुलेंस ड्राइवर और ENT ने उससे कहा था कि हम तुम्हें सरकारी गाड़ी में ही दिल्ली छोड़ देंगे। इसके चलते उसने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने दिल्ली एम्बुलेंस भेजने से मना कर दिया और उसके साथ गाली गलौज की। जैसे-तैसे वह अपनी पत्नी को निजी एंबुलेंस से दिल्ली ले गया और सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कर दिया। वहां पर न तो उसकी पत्नी को डॉक्टर ने प्लेटलेट्स की कमी बताई और न ही उसकी पत्नी को एक दिन भी आईसीयू में रखा गया।

पत्नी के पेट में डिलीवरी के दौरान कुछ पार्टिकल्स रह गए थे। जिसकी साफ सफाई डॉक्टर ने कर दी। अब उसकी पत्नी बिल्कुल स्वस्थ है।

स्वास्थ मंत्री- डीजी स्वास्थ विभाग को दी शिकायत

मोनू कुमार ने इसको लेकर फरीदाबाद की सिविल सर्जन डॉ विनय गुप्ता, डीजी हेल्थ रणदीप पुनिया, स्वास्थ मंत्री अनिल विज एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ मानव अधिकार आयोग से इस पूरे मामले में शिकायत की है। उसकी मांग है कि उसकी पत्नी की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले और उसे बरगलाने व उस पर पर निजी अस्पताल में जाने का दबाव बनाने वाले एम्बुलेंस ड्राइवर कन्हैया, ENT कृपाराम, मोटरसाइकिल पर मिले तीन युवकों के खिलाफ कार्रवाई हो।

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