कैथल
किसान आंदोलन के चलते कैथल जिले में पिछले 11 दिनों से नेटबंद है, जिससे आम और खास, छोटे और बड़े दुकानदार, उद्योगपति परेशान हैं।

वहीं 27 फरवरी से दसवीं और 12वीं की परीक्षाएं होने के चलते अभिभावक और विद्यार्थी परेशान हैं। क्योंकि नेट कनेक्शन के लिए जिले में सात से दस दिनों की वेटिंग चल रही है।
कैथल शहर की बात करें तो यहां पर प्रतिदिन इस समय 800 के करीब कनेक्शनों की प्रतिदिन मांग है, लेकिन इंटरनेट प्रोवाइडिंग कंपनी कह रही हैं कि उन्हें इंतजार करना होगा। नेट प्रोवाइडर कंपनी में काम करने वाले राजेश सेठी ने बताया कि नेट बंदी से पहले जहां इंटरनेट के लिए दो से तीन कनेक्शनों की मांग एक कंपनी के पास थी, अब वो 15 से 20 पहुंच गई है। सबसे ज्यादा मांग छोटे दुकानदारों और जिन बच्चों की 10वीं और 12वीं की परीक्षा है, वे अपनी तैयारी के लिए नेट कनेक्शन की मांग कर रहे हैं। लेकिन नेट कनेक्शन की मांग अधिक होने से कनेक्शन मिल नहीं रहा है, जिससे अभिभावक और विद्यार्थी परेशान हैं।
डिपो पर राशन नहीं हो रहा वितरित नेट बंदी के चलते राशन डिपो पर राशन वितरित नहीं हो पा रहा है। पीओएस मशीन काम नहीं कर रही है। मशीन के अंदर सिम होता है, जो नेट चलने के बाद ही पात्र का डेटा उठाती है। नेट बंद होने से मशीन भी बंद है, जिससे पात्रों को राशन नहीं मिल पा रहा है।
नेट के लिए करनाल जिले के नजदीक पहुंच रहे युवा जो फाईफाई नहीं लगवा पा रहे, वे युवा करनाल जिले के पास पहुंच रहे हैं। पूंडरी, मोहना, टयोंठा, रसीना के युवा बस्तली झाल पर पहुंचते हैं। ये झाल करनाल कैथल फोनलेन हाइवे पर है। वहीं राजौंद के साथ लगते गांवों के युवा करनाल जिले में आने वाली खेड़ी सर्फली पहुंच रहे हैं।
छोटी पेमेंट की किचकिच से नेट बचाता है : ग्रोवर करियाणा शॉप के मालिक ओम प्रकाश ग्रोवर ने बताया कि नेट बंदी के कारण छोटी पेमेंट और खुल्ले पैसों की फिर से किचकिच होने लगी है। इसलिए उसने नेट लगवाया है। एक या दो रुपए की पेमेंट हो तो ग्राहक कहते हैं कि पैसा खुल्ला नहीं है। नेट बंदी के चलते वे पेमेंट बाद में करने को कहते हैं, लेकिन नेट लगवा लिया तो उनका नुकसान होने से बच गया। वे ग्राहक को पासवर्ड देकर पेमेंट करवाते हैं। उन्होंने बताया कि नेट बंदी से उनका काम बहुत प्रभावित हो रहा है।