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कंक्रीट बैरिकेड्स तोड़ने वाली मशीनें लेकर शंभू बॉर्डर पहुंचे किसान:आंसू गैस के गोलों का असर नहीं, बुलेटप्रूफ भी; कल दिल्ली कूच करेंगे

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर धरना दे रहे पंजाब के किसान कल (बुधवार) सुबह 11 बजे दिल्ली रवाना होंगे।

इसके लिए सुबह 6 बजे ही ट्रैक्टर लाइन में लगा दिए जाएंगे। शंभू के साथ खनौरी बॉर्डर से भी किसान दिल्ली जाने के लिए हरियाणा में घुसेंगे।

किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स भी अलर्ट पर है। शंभू बॉर्डर पर सीमेंट के गार्डर, कंटीली तारें बिछाकर 7 लेयर बैरिकेडिंग की गई है। इसी से पुलिस ने 8 दिन से यहीं पर रोके रखा है।

हरियाणा पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ने के लिए किसान JCB और हाईड्रोलिक क्रेन जैसी हैवी मशीनरी लेकर पहुंच गए हैं। इसके अलावा बुलेटप्रूफ पोकलेन मशीन भी लाई गई है। इनको इस तरह से डिजाइन कराया गया है कि इन पर आंसू गैस के गोलों का भी असर न हो।

किसानों ने दिल्ली कूच का फैसला केंद्र से हुई मीटिंग के बाद लिया। केंद्र ने कपास, मक्का, मसूर, अरहर और उड़द यानी 5 फसलों पर MSP देने का प्रस्ताव दिया था। किसानों ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया।

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमने एक्सपर्ट और किसानों से केंद्र के प्रस्ताव पर बात की। इसके बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे कि प्रस्ताव हमारे हित में नहीं है। हमारी MSP पर गारंटी कानून की मांग पूरी हो।

किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाए। जिसमें MSP पर खरीद की गारंटी का कानून लाया जाए।

इस बीच, किसान आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट पर पाबंदी का फैसला 21 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है।

पंजाब के भी 7 जिलों के कुछ हिस्सों में केंद्र सरकार ने 24 फरवरी तक इंटरनेट बंद करा दिया है। ये वही हिस्से हैं, जहां किसान दिल्ली जाने के लिए इकट्‌ठा हो रहे थे।

किसानों के कूच को लेकर दिल्ली पुलिस भी अलर्ट पर है। दिल्ली के हरियाणा से सटे सिंघु व टिकरी और उत्तर प्रदेश से सटे गाजीपुर बॉर्डर को सील किया गया है। पूरी दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई है। भीड़ जुटने और ट्रैक्टर्स की एंट्री पर रोक लगाई जा चुकी है।

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा क्या कहते हैं
5 फसलों में एमएसपी से देशभर के किसानों का समाधान नहीं हो सकता। यह पंजाब आधारित प्रस्ताव है। ये चारों फसलें अभी भी लगभग एमएसपी या अधिक भाव में बिक रही हैं। मुद्दा यह है कि जो फसलें एमएसपी से नीचे बिक रही हैं, उन्हें एमएसपी पर खरीदा जाए।

जिन 23 फसलों पर पहले से MSP लागू है, किसान उन्हीं फसलों पर स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर MSP कानून बनाने की प्रमुख मांग कर रहे हैं। किसान ये नहीं चाहते कि उनकी पूरी फसल सिर्फ सरकार खरीदे, बल्कि किसान खुले बाजार में भी अपनी फसलों को बेचने पर न्यूनतम कीमत को लेकर गारंटी चाहते हैं।

किसानों का कहना है कि MSP के नीचे उनकी फसल को सरकार, प्राइवेट कंपनियां या पब्लिक सेक्टर की एजेंसियां कोई भी नहीं खरीद पाएं।

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