Saturday , 2 August 2025
Breaking News

Elon Musk Neuralink Brain Chip Telepathy Video; Paralyzed Man Plays Video Games | ब्रेन-चिप की मदद से लकवाग्रस्त शख्स ने खेला वीडियो गेम: मस्क ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा ‘न्यूरालिंक ने टेलीपैथी का प्रदर्शन किया’

[ad_1]
  • Hindi News
  • Tech auto
  • Elon Musk Neuralink Brain Chip Telepathy Video; Paralyzed Man Plays Video Games

नई दिल्ली31 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
न्यूरालिंक जनवरी ने इंसान के दिमाग में सर्जरी के जरिए चिप इम्प्लांट करने में सफलता पाई थी। यह डिवाइस एक छोटे सिक्के के आकार की है, जो ह्यूमन ब्रेन और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेशन चैनल बनाती है। - Dainik Bhaskar

न्यूरालिंक जनवरी ने इंसान के दिमाग में सर्जरी के जरिए चिप इम्प्लांट करने में सफलता पाई थी। यह डिवाइस एक छोटे सिक्के के आकार की है, जो ह्यूमन ब्रेन और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेशन चैनल बनाती है।

टेस्ला के मालिक एलन मस्‍क के स्टार्टअप न्यूरालिंक को नई सफलता मिली है। एलन मस्क ने लकवाग्रस्त शख्स के दिमाग से वीडियो गेम खेलने का वीडियो शेयर किया है। उन्होंने क्वाड्रप्लीजिक पेशेंट नोलैंड आबोघ का एक वीडियो शेयर किया जिसमें वो सिर्फ अपने दिमाग से वीडियो गेम और शतरंज खेलते दिख रहे हैं।

वीडियो में क्या दिख रहा है?
मस्क ने सोशल मीडिया साइट X पर जो वीडियो शेयर किया है उसमें 29 साल के नोलैंड आबोघ बिना हाथ का उपयोग करे अपने दिमाग के जरिए शतरंज और सिविलाइजेशन VI गेम खेलते नजर आ रहे हैं।

नोलैंड आबोघ ने कहा वीडियो में कहा कि मैंने वह गेम खेलना छोड़ दिया था। लेकिन अब इसे फिर से खेल पा रहा हूं। मस्क ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा ‘न्यूरालिंक ने टेलीपैथी का प्रदर्शन किया’।

जनवरी में सर्जरी के जरिए इंसान के दिमाग में इम्प्लांट की गई थी चिप
इससे पहले न्यूरालिंक जनवरी ने इंसान के दिमाग में सर्जरी के जरिए चिप इम्प्लांट करने में सफलता पाई थी। यह डिवाइस एक छोटे सिक्के के आकार की है, जो ह्यूमन ब्रेन और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेशन चैनल बनाती है।

अगर इसक ह्यूमन ट्रायल पूरी तरह कामयाब रहा तो चिप के जरिए दृष्टिहीन लोग देख पाएंगे। पैरालिसिस के मरीज चल-फिर सकेंगे और कंप्यूटर भी चला सकेंगे। कंपनी ने इस चिप का नाम ‘लिंक’ रखा है।

सितंबर 2023 में मिली थी मंजूरी
सितंबर 2023 में मस्क की ब्रेन-चिप कंपनी न्यूरालिंक को अपने पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशनल रिव्यू बोर्ड से रिक्रूटमेंट की मंजूरी मिली थी। यानी मंजूरी के बाद न्यूरालिंक ह्यूमन ट्रायल के लिए लोगों की भर्ती कर कर उन पर इस डिवाइस का ट्रायल करेगा।

न्यूरालिंक का सर्जिकल रोबोट, जिसके जरिए चिप को मस्तिष्क में लगाया गया था।

न्यूरालिंक का सर्जिकल रोबोट, जिसके जरिए चिप को मस्तिष्क में लगाया गया था।

स्टडी को पूरा होने में करीब 6 साल लगेंगे
न्यूरालिंक के मुताबिक, ट्रायल उन लोगों पर किया जा रहा है, जिन लोगों को सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड में चोट या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) के कारण क्वाड्रिप्लेजिया है। इस ट्रायल में हिस्सा लेने वालों की उम्र मिनिमम 22 साल होनी चाहिए। स्टडी को पूरा होने में करीब 6 साल लगेंगे। इस दौरान पार्टिसिपेंट को लैब तक आने-जाने का ट्रैवल एक्सपेंस मिलेगा।

ट्रायल के जरिए कंपनी यह देखना चाहती है कि ये डिवाइस मरीजों पर कैसे काम कर रही है। मई में कंपनी को ट्रायल के लिए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से मंजूरी मिली थी।

न्यूरालिंक डिवाइस क्या है?

1. फोन को सीधे ब्रेन से जोड़ेगा
न्यूरालिंक ने सिक्के के आकार का एक डिवाइस बनाया है जिसे “लिंक” नाम दिया गया है। ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इम्पल्स) से सीधे कंट्रोल करने में सक्षम करता है। उदाहरण के लिए, पैरालिसिस से पीड़ित व्यक्ति मस्तिष्क में चिप के प्रत्यारोपित होने के बाद केवल यह सोचकर माउस का कर्सर मूव कर सकेंगे कि वे इसे कैसे मूव करना चाहते हैं।

2. कॉस्मैटिक रूप से अदृश्य चिप
न्यूरालिंक ने कहा, हम पूरी तरह से इम्प्लांटेबल, कॉस्मैटिक रूप से अदृश्य ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस डिजाइन कर रहे हैं, ताकि आप कहीं भी जाने पर कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस को कंट्रोल कर सकें। माइक्रोन-स्केल थ्रेड्स को ब्रेन के उन क्षेत्रों में डाला जाएगा जो मूवमेंट को कंट्रोल करते हैं। हर एक थ्रेड में कई इलेक्ट्रोड होते हैं जो उन्हें “लिंक” नामक इम्प्लांट से जोड़ते हैं।

3. रोबोटिक प्रणाली डिजाइन की
कंपनी ने बताया कि लिंक पर थ्रेड इतने महीन और लचीले होते हैं कि उन्हें मानव हाथ से नहीं डाला जा सकता। इसके लिए कंपनी ने एक रोबोटिक प्रणाली डिजाइन की है जिससे थ्रेड को मजबूती और कुशलता से इम्प्लांट किया जा सकता है।

इसके साथ ही न्यूरालिंक ऐप भी डिजाइन किया गया है ताकि ब्रेन एक्टिविटी से सीधे अपने कीबोर्ड और माउस को बस इसके बारे में सोच कर कंट्रोल किया जा सके।

डिवाइस को चार्ज करने की भी जरूरत होगी। इसके लिए कॉम्पैक्ट इंडक्टिव चार्जर भी डिजाइन किया गया है जो बैटरी को बाहर से चार्ज करने के लिए वायरलेस तरीके से इम्प्लांट से जुड़ता है।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी से बनाई चिप
एलन मस्क ने जिस टेक्नोलॉजी के जरिए चिप बनाई है उसे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस या शॉर्ट में BCIs कहा जाता है। इस पर कई और कंपनियां भी सालों से काम कर रही हैं।

ये सिस्टम ब्रेन में रखे गए छोटे इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल पास के न्यूरॉन्स से संकेतों को “पढ़ने” के लिए करता है। इसके बाद सॉफ्टवेयर इन सिग्नल्स को कमांड या एक्शन में डिकोड करता है, जैसे कि कर्सर या रोबोटिक आर्म को हिलाना।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
Source link

Check Also

Hybrid Cars Electric Vehicle Sales Vehicle Dashboard Data | देश में EV से 4 गुना ज्यादा बिक रहीं हाइब्रिड-कारें: बीते साल हाइब्रिड की सेल्स ग्रोथ 30% रही, ये इलेक्ट्रिक व्हीकल से दोगुना महंगी

[ad_1] नई दिल्ली3 घंटे पहलेकॉपी लिंकभारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के ट्रेंड्स में कुछ बड़े बदलाव …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *